***
साहित्य लहर

मां

नवाब मंजूर

जिसके साए तले
बढ़ते हैं राजा और रंक
या फिर हो कोई मलंग
जन्म से लेकर जवानी तक
उसी के इर्द-गिर्द घूमते हैं?
एक शागिर्द की तरह।

हर खुशी
हर आंसू को
उसी संग साझा करते हैं
अक्सर सलाह भी लिया करते हैं।
वह भी कभी गुरू
कभी सखा के रूप में अपना
सर्वोत्तम सर्वस्व
सर्वश्रेष्ठ दिया करती है ।

कभी कुछ मांगती भी नहीं है
बस! आपके हमारे चेहरे को देख मुस्काए जाती है
इसी में उसे असीम खुशी मिलती है
और हमपर अपना सबकुछ लुटा देती है।

आज के कलयुगी बच्चे
चाहे जितना सताएं , दे यातनाएं
बेदखल कर दें घर से या
करें अपमानित
पहुंचा दें ठेस स्वाभिमान को
फिर भी देती है वो दुआएं!

रहो तुम खुश,
चांद तारों सा तू जगमगाए
तुझे मेरी भी उम्र लग जाए‌।
हाय!
ये मां भी किस मिट्टी की बनी होती है?
उसे अपनी तो फ़िक्र तनिक भी नहीं होती है
होती है तो सिर्फ बच्चों की..
खाया होगा कि नहीं?
सही से पहुंच तो गया होगा!
और न जाने क्या क्या?

भले स्वयं भूखी हो
कितना भी रूठी हो?
लेकिन उसे सदैव
हमारी चिंता लगी रहती है।

उसे किसी चीज़ का कोई फर्क नहीं पड़ता
पड़ता है तो सिर्फ अपने बच्चों के दर्द से!
कहो जननी जगत की जय हृदय से!


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

From »

मो. मंजूर आलम ‘नवाब मंजूर

लेखक एवं कवि

Address »
सलेमपुर, छपरा (बिहार)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights