साहित्य लहर
लम्हे : खामोश नजरों में चमक
राजीव कुमार झा
खामोश नजरों में
चमक समा रही
जिंदगी
करीब आ गयी
खत्म हो गया
गुजरा वक्त
कुछ करीब से
उसी ने देखा
बियाबान में
भटकने से
यह अच्छा
मुफलिसी के
दौर में
अपनों के साथ
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यह लम्हा
गुजर जाय
सबकी याद आये
वह तुम्हें बुलाता
याद आता
मुहल्ले का जमाना
आज फिर
रास्ते में
इकरार होना
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »राजीव कुमार झाकवि एवं लेखकAddress »इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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