आदमखोर करतूतें : खोपड़ी उबाल कर सूप पीता था…
धीरेंद्र सिंह हत्याकांड की जांच में जुटी थाना कीडगंज पुलिस को डायरी से एक नहीं दो नहीं बल्कि कई लोगों के कत्ल की कहानी मिली, जो साबित कर रही थी कि राजा कोलंदर कितना बड़ा आदमखोर और खूनी है. पुलिस ने जांच का दायरा बढ़ा दिया था. अब ये मामला केवल एक पत्रकार के कत्ल का नहीं रह गया था, बल्कि पुलिस के सामने एक सीरियल किलर था, जो लोगों का खून करके उनके जिस्म के टुकड़े-टुकड़े कर देता था. फिर मरने वाले की खोपड़ी से भेजा या जिस्म से दूसरे अंग निकाल कर उसे उबालता था और सूप बनाकर पी जाता था. उसका मानना था कि इस सूप से उसका दिमाग तेज होगा और उसे अपार शक्ति मिलेगी.
नई दिल्ली। जुर्म की दुनिया में कई ऐसे नाम सामने आते हैं, जो अपने वहशीपन के लिए जाने जाते हैं. वो दरिंदगी की सारी हदों को पार कर कुछ इस तरह से वारदातों को अंजाम देते हैं कि जो भी देखे या सुने उसका दिल खौफ से भर जाए. उसका दिमाग दहशत के अंधेरे में गुम हो जाए. उनकी वहशी करतूतें किसी शैतान से कम नहीं होती. ऐसा ही एक नाम है सीरियल किलर राजा कोलंदर का. उसका नाम इन दिनों सुर्खियों में इसलिए है कि उसकी करतूतों को उजागर करती एक सीरीज हाल ही में रिलीज़ हुई है. जिसे देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. आज क्राइम कथा में पेश है कहानी उसी खौफनाक सीरियल किलर की.
इलाहाबाद के शंकरगढ़ कस्बे में रहने वाले पत्रकार धीरेंद्र सिंह दैनिक समाचार पत्र आज में काम करते थे. उन्होंने अपने काम से अपनी अलग पहचान बनाई थी. उस दिन भी वो अपने काम पर जाने के लिए घर से निकले थे, लेकिन फिर कभी लौटकर वापस नहीं आए. उनके परिजनों ने उन्हें सभी जगह तलाश किया. उनके बारे में पड़ोस से लेकर दफ्तर तक और दोस्तों से लेकर रिश्तेदारों तक पूछताछ की, लेकिन धीरेंद्र का कुछ अता नहीं चला. मामला पुलिस तक जा पहुंचा. पुलिस ने बिना देर किए थाना कीडगंज में पत्रकार की गुमशुदगी दर्ज कर ली और धीरेंद्र की तलाश शुरु कर दी. लेकिन पुलिस को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि ये तलाश लंबी होने वाली है.
इस दौरान पुलिस ने जब परिवार से पूछा कि क्या धीरेंद्र की किसी से कोई रंजिश या दुश्मनी थी? तो परिजनों ने सीधे तो किसी पर आरोप नहीं लगाया. मगर इस बीच धीरेंद्र के घरवालों ने पुरानी रंजिश के चलते राम निरंजन कोल नाम के एक शख्स पर शक होने की बात कही. इसी शक की बिनाह पर पुलिस ने पत्रकार धीरेंद्र के गुम हो जाने के करीब एक हफ्ते बाद राम निरंजन कोल और उसके साले वक्षराज को गिरफ्तार कर लिया था.
दरअसल, राम निरंजन कोल का नाम ही राजा कोलंदर है. वह शंकरगढ़ इलाके का रहने वाला है. 90 के दौर में राजा कोलंदर नैनी में मौजूद सीओडी छिवकी में कर्मचारी था. उसकी पत्नी फूलन देवी उन दिनों इलाहाबाद जिला पंचायत की सदस्य थी. राजा कोलंदर ने 90 के दशक में ही जुर्म की राह पकड़ी थी. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक साल 1998 में थाना धूमनगंज क्षेत्र के मुंडेरा मुहल्ले में टीवी-वीसीआर किराए पर चलाने वाले एक युवक का मर्डर हुआ था. जिसमें राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर का नाम आया था. इसके बाद वो फरार हो गया था. साल 2000 में भी उसने ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम दिया और पुलिस का सिरदर्द बन गया. अपनी काली करतूतों से उसने इलाके में दहशत पैदा कर दी थी.
सच सामने आने लगा तो पुलिस के हाथ पाव भी फूलने लगे. पुलिस ने राजा कोलंदर की निशानदेही पर अशोक कुमार, मुइन, संतोष और कालीप्रसाद के नरमुंड बरामद किए तो डायरी में लिखी सारी कहानी सच हो गई. पूछताछ में पता चला कि आदमखोर राजा कोलंदर ने कुल मिलाकर 14 लोगों का कत्ल किया. वह जरा-जरा सी बात पर लोगों का खून कर देता था. फिर उनकी खोपड़ी से भेजा निकाल उबालता और सूप बनाकर पी जाता था. वो लाश को अलग-अलग टुकड़ों में बांटकर जंगल या दूर दराज के सुनसान इलाकों में फेंक दिया करता था. पुलिस उन सभी मामलों की तहकीकात करती रही.
आदमखोर राजा कोलंदर अब पुलिस की हिरासत में था. मामला अदालत में जा पहुंचा था. जहां इस मामले की सुनवाई करीब 11 साल तक चलती रही. 1 दिसंबर 2012 को इलाहाबाद के अपर सत्र न्यायाधीश मेहताब अहमद ने राम निरंजन कोल उर्फ राजा कोलंदर और उसके साले वक्षराज को मुल्जिम करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. साथ ही दोनों पर दस-दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. वहां से मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा, लेकिन राजा कोलंदर को राहत नहीं मिली. तभी से आदमखोर वहशी दरिंदा राजा कोलंदर जेल में सजा काट रहा है.
जुर्म की दुनिया में इस सीरियल किलर राजा कोलंदर का नाम हमेशा उसके वहशीपन और दरिंदगी के लिए याद रखा जाएगा. और याद रखी जाएगी उसकी वो डायरी जिसने इस खूनी दरिंदे के गुनाहों का एक एक लम्हा कानून के सामने उजागर कर दिया. उस डायरी में दास्तान-ए-गुनाह इस कातिल ने खुद लिखी थी. जो अब जेल की काल कोठरी में अपने दिन गिन रहा है.