***
आपके विचारफीचर

अपने आप में बहुत ही व्यापक है छोटा सा शब्द प्रेम

सुनील कुमार

दो अक्षरों के मेल से बना छोटा सा शब्द प्रेम अपने गूढ़ अर्थ की दृष्टि से बहुत ही व्यापक है। प्रेम जिसे सभी संबंधों का आधार माना गया है, एक प्रमुख मानवीय गुण है। प्रेम के बिना सभी संबंध निष्प्राण होते हैं या यूं कहें कि बिना प्रेम के कोई भी संबंध ज्यादा दिनों तक नहीं टिकता।प्रेम के अभाव में मानवीय संबंध दम तोड़ने लगते हैं।

देखने में छोटा सा शब्द प्रेम अपने आप में बहुत ही व्यापक है, इसके कई रूप हैं।आमतौर पर लोग इसे प्रेमी-प्रेमिका के स्नेहिल संबंधों तक ही सीमित रखते हैं जबकि इसका दायरा बहुत ही व्यापक है।

जैसे पति-पत्नी का आपसी प्रेम, माता-पिता का अपने बच्चों से प्रेम,भाई-बहन का एक दूसरे से प्रेम ,बच्चों का अपने माता- पिता,दादा- दादी,नाना- नानी, चाचा- चाची,मामा-मामी, बुआ-फूफा, यार-दोस्त आदि से प्रेम, मानव का पेड़-पौधों व जीव जंतुओं से प्रेम, अपने परिवार समाज और राष्ट्र से प्रेम।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज से अलग उसका कोई अस्तित्व नहीं है। हमारा समाज संबंधों पर ही आधारित है,और संबंधों का आधार प्रेम ही होता है।

सुखमय जीवन यापन के लिए माननीय संबंधों का होना जरूरी है,और संबंधों को जीवित रखने के लिए परस्पर प्रेम का होना बहुत जरूरी है।संक्षेप में हम कह सकते हैं कि प्रेम के बिना जीवन अधूरा है।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

सुनील कुमार

लेखक एवं कवि

Address »
ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights