धर्म-संस्कृति

भगवान हनुमान: शक्ति, भक्ति और सेवा के प्रतीक

सत्येन्द्र कुमार पाठक

सनातन धर्म की विशाल और समृद्ध परंपरा में, भगवान हनुमान एक ऐसे दिव्य व्यक्तित्व हैं जो शक्ति, भक्ति, निष्ठा और निस्वार्थ सेवा के अद्वितीय संगम का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे न केवल भगवान राम के अनन्य भक्त और सेवक हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और जनमानस में एक पूजनीय और प्रभावशाली देवता के रूप में स्थापित हैं। हनुमान का जन्मोत्सव, जो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है, उनके भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण और पवित्र अवसर है। पौराणिक पृष्ठभूमि और जन्म कथा: हनुमान के जन्म से जुड़ी कथाएं अत्यंत रोचक और प्रेरणादायक हैं। विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और लोक कथाओं में उनके जन्म की अलग-अलग व्याख्याएं मिलती हैं, लेकिन सभी उनके दिव्य स्वरूप और अलौकिक शक्तियों की ओर संकेत करती हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, हनुमान भगवान शिव के ग्यारहवें रुद्रावतार हैं। जब भगवान विष्णु ने राम के रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया, तो शिव ने उनकी सहायता करने और रावण के अत्याचारों का अंत करने के लिए हनुमान के रूप में जन्म लिया।

यह भी माना जाता है कि रावण, जिसने अपनी तपस्या से अद्भुत शक्तियां प्राप्त कर ली थीं, को मोक्ष प्रदान करने के लिए शिव ने यह लीला रची। हनुमान के माता-पिता अंजनी और केसरी थे। अंजनी एक अप्सरा थीं जिन्हें एक श्राप के कारण पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ा था। उन्हें इस श्राप से तभी मुक्ति मिल सकती थी जब वे एक तेजस्वी और शक्तिशाली पुत्र को जन्म देतीं। केसरी, वानर जाति के एक पराक्रमी राजा थे। अंजनी ने पुत्र प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की और भगवान शिव की आराधना की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें वरदान दिया और हनुमान का जन्म हुआ। एक अन्य प्रचलित कथा के अनुसार, जब अयोध्या के राजा दशरथ पुत्रकामेष्ठि यज्ञ कर रहे थे, तो यज्ञ से प्राप्त दिव्य खीर का एक अंश एक चील द्वारा हरण कर लिया गया और वह उस स्थान पर गिरा जहाँ अंजनी तपस्या कर रही थीं। वायुदेव ने उस खीर को अंजनी के हाथों में पहुँचा दिया, जिसे ग्रहण करने के फलस्वरूप हनुमान का जन्म हुआ। इसी कारण उन्हें पवनपुत्र भी कहा जाता है। हनुमान का जन्म आंजनेय पर्वत समूह के मध्य स्थित एक गुफा में हुआ माना जाता है, जिसके कारण उन्हें आंजनेय भी कहा जाता है। उनके जन्म के समय अनेक अद्भुत घटनाएं हुईं, जो उनकी अलौकिक शक्तियों का संकेत थीं।

हनुमान के विविध नाम और उनके अर्थ:हनुमान को उनके गुणों, शक्तियों और जन्म से जुड़ी घटनाओं के कारण अनेक नामों से जाना जाता है। इनमें से कुछ प्रमुख नाम और उनके अर्थ इस प्रकार हैं: हनुमान: इंद्र के वज्र से उनकी ठुड्डी (हनु) टूट जाने के कारण यह नाम पड़ा।बजरंग बली: उनका शरीर वज्र के समान शक्तिशाली होने के कारण यह नाम प्रचलित हुआ।मारुति: पवनदेव (मारुत) के पुत्र होने के कारण उन्हें मारुति कहा जाता है।अञ्जनि सुत: वे अंजनी के पुत्र हैं, इसलिए इस नाम से जाने जाते हैं।पवनपुत्र: पवनदेव के आशीर्वाद से उनका जन्म हुआ, अतः यह नाम प्रसिद्ध है।संकटमोचन: वे अपने भक्तों के सभी संकटों को दूर करने वाले हैं।केसरीनन्दन: वे वानरराज केसरी के पुत्र हैं।

महावीर: वे अपनी असीम शक्ति और पराक्रम के लिए जाने जाते हैं।कपीश: वे वानर सेना के प्रमुख या राजा माने जाते हैं।शङ्कर सुवन: वे भगवान शिव के अवतार हैं, इसलिए यह नाम है।मारुतिनंदन: मारुति (पवनदेव) के पुत्र होने के कारण यह नाम भी प्रचलित है।रुद्रावतार: वे भगवान शिव के रुद्र रूप का अवतार हैं।पवन सूत: यह भी पवनदेव के पुत्र होने का द्योतक है।ये सभी नाम हनुमान के विभिन्न गुणों और महिमा को व्यक्त करते हैं। गुरु और शिक्षा:हनुमान ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपनी माता अंजनी से प्राप्त की। इसके अतिरिक्त, भगवान शिव स्वयं उनके आध्यात्मिक गुरु माने जाते हैं, क्योंकि वे उन्हीं के अवतार थे। भगवान सूर्य भी उनके गुरु माने जाते हैं, जिनसे उन्होंने विभिन्न विद्याओं और शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया। ऋषि मातंग का भी उनके जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है, जिन्होंने उन्हें तपस्या और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान किया।

हनुमान का चरित्र और गुण:हनुमान का चरित्र अद्वितीय गुणों का भंडार है। वे भगवान राम के प्रति अपनी अटूट भक्ति और निष्ठा के लिए जाने जाते हैं। उनकी सेवा भावना निस्वार्थ और अनुकरणीय है। उन्होंने राम के कार्यों को सिद्ध करने के लिए अपनी शक्ति और बुद्धि का कुशलतापूर्वक उपयोग किया।हनुमान असीम शक्ति और पराक्रम के स्वामी हैं, लेकिन उनमें लेशमात्र भी अहंकार नहीं है। वे अपनी शक्ति का उपयोग हमेशा दूसरों की सहायता करने और धर्म की रक्षा करने के लिए करते हैं। उनकी बुद्धि और वाक्पटुता भी अद्भुत है, जिसका परिचय उन्होंने सीता की खोज और लंका दहन के समय दिया।हनुमान ब्रह्मचारी हैं और उन्होंने अपने इंद्रियों पर पूर्ण नियंत्रण रखा है। उनका चरित्र युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है जो शक्ति, संयम और सेवाभाव के आदर्शों को अपनाना चाहते हैं।
स्मृति ग्रंथों में हनुमान:हनुमान का उल्लेख अनेक महत्वपूर्ण हिंदू स्मृति ग्रंथों में मिलता है। रामायण, जिसमें उनकी वीरता, भक्ति और राम के प्रति समर्पण का विस्तृत वर्णन है, उनका सबसे महत्वपूर्ण साहित्यिक प्रतिनिधित्व है।

वाल्मीकि रामायण से लेकर तुलसीदास की रामचरितमानस तक, हनुमान की कथाएं पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों को प्रेरित करती रही हैं।हनुमान चालीसा, तुलसीदास द्वारा रचित चालीस छंदों की एक स्तुति है, जो हनुमान की महिमा और उनके गुणों का बखान करती है। यह भारत में सबसे लोकप्रिय भक्ति रचनाओं में से एक है और प्रतिदिन लाखों लोगों द्वारा इसका पाठ किया जाता है।अंजनी, हनुमान के जीवन और शिक्षाओं से संबंधित कई अन्य ग्रंथ और लोक कथाएं भी प्रचलित हैं, जो उनकी व्यापक उपस्थिति और महत्व को दर्शाती हैं। उलटे हनुमान जैसे ग्रंथ भी उनकी विशिष्ट शक्तियों और चमत्कारों का वर्णन करते हैं। भारत में हनुमान के प्रमुख मंदिर: भारत में हनुमान को समर्पित अनेक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो उनकी व्यापक लोकप्रियता और श्रद्धा का प्रतीक हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मंदिर निम्नलिखित हैं:प्रयागराज संगम तट पर लेटे हुए हनुमान जी (उत्तर प्रदेश): यह मंदिर अपनी अनूठी प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें हनुमान लेटी हुई मुद्रा में हैं।

हनुमान गढ़ी, अयोध्या (उत्तर प्रदेश): यह मंदिर अयोध्या के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है और हनुमान को समर्पित है जो इस नगरी के रक्षक माने जाते हैं।ओंकारेश्वर के मान्धाता पर्वत पर लेटे हुए हनुमान जी (मध्य प्रदेश): यह मंदिर भी लेटी हुई हनुमान प्रतिमा के लिए जाना जाता है।पटना स्थित हनुमान मंदिर (बिहार): यह उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों में से एक है और यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।इनके अलावा, भारत के कोने-कोने में हनुमान के असंख्य मंदिर और स्थान हैं, जो उनकी सर्वव्यापकता को दर्शाते हैं। हनुमान जन्मोत्सव का महत्व और उत्सव:हनुमान जन्मोत्सव पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भगवान हनुमान के जन्म की स्मृति में आयोजित किया जाता है और उनके भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर होता है।विभिन्न क्षेत्रों में हनुमान जन्मोत्सव मनाने की तिथियां और परंपराएं अलग-अलग हैं:

उत्तर भारत: चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को मुख्य रूप से हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है।तमिलनाडु और केरल: यहाँ मार्गशीर्ष (धनु) महीने की अमावस्या को हनुमान जयंती मनाई जाती है। ओडिशा: इस राज्य में पना संक्रांति के दिन हनुमान का जन्मदिन मनाया जाता है।कर्नाटक और आंध्र प्रदेश: इन राज्यों में चैत्र पूर्णिमा से लेकर वैशाख महीने के दसवें दिन तक हनुमान जन्मोत्सव का त्योहार मनाया जाता है। तेलंगाना में भी यह पर्व 41 दिनों तक चलता है।महाराष्ट्र: यहाँ चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है। इस दिन भक्त हनुमान मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं, विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, हनुमान चालीसा और रामायण का पाठ करते हैं, और भजन-कीर्तन में भाग लेते हैं। मंदिरों में भगवान हनुमान की मूर्तियों को सिंदूर और अन्य पवित्र सामग्रियों से सजाया जाता है।

कई स्थानों पर शोभायात्राएं भी निकाली जाती हैं।भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और हनुमान जी को लड्डुओं, बूंदी और अन्य पारंपरिक व्यंजनों का भोग लगाते हैं। मंदिरों में प्रसाद वितरित किया जाता है, जिसे भक्त श्रद्धापूर्वक ग्रहण करते हैं।एक लोकप्रिय परंपरा यह भी है कि भक्त हनुमान की मूर्ति से सिंदूर लेकर अपने माथे पर लगाते हैं। इसके पीछे की कथा यह है कि जब हनुमान ने सीता को अपने माथे पर सिंदूर लगाते हुए देखा, तो उन्होंने इसका कारण पूछा। सीता ने बताया कि ऐसा करने से उनके पति राम की लंबी आयु सुनिश्चित होती है। तब हनुमान ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया, जिससे राम की अमरता सुनिश्चित हो सके।यह माना जाता है कि हनुमान जी का ध्यान करने और उनके मंत्रों का जाप करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उन्हें शक्ति, सुरक्षा और सफलता प्राप्त होती है।

हनुमान को कलयुग का सबसे प्रभावशाली देवता माना जाता है, जो अपने भक्तों की तुरंत सहायता करते हैं। भगवान हनुमान भारतीय संस्कृति और धर्म में एक अद्वितीय स्थान रखते हैं। वे शक्ति, भक्ति, सेवा और निष्ठा के प्रतीक हैं। उनकी कथाएं हमें निस्वार्थ सेवा, अटूट विश्वास और साहस की प्रेरणा देती हैं। हनुमान जन्मोत्सव उनके भक्तों के लिए एक पवित्र अवसर है, जब वे उनकी आराधना करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाने वाला यह पर्व भारत की सांस्कृतिक विविधता और हनुमान के प्रति अटूट श्रद्धा का जीवंत प्रमाण है। भगवान हनुमान न केवल एक दिव्य शक्ति हैं, बल्कि एक ऐसे आदर्श हैं जिनका अनुसरण करके मनुष्य अपने जीवन को सार्थक और सफल बना सकता है।


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