साहित्य लहर
आजीवन

डॉ. राजीव डोगरा
जीवन के पथ पर
यहां से वहां जा रहा हूं,
समझ नहीं आता
क्या कर रहा हूं
और क्या नहीं कर रहा हूं।
जीवन की डगमग करती
नाव में बैठकर
ज़िंदगी का सफर
तय कर रहा हूं।
कभी तूफानों का
मंजर देख रहा हूं
तो कभी बदलती
हवाओं का रुख
महसूस कर रहा हूं।
कभी शिखर पर चढ़कर
क्षितिज को ढूंढ रहा हूं,
तो कभी क्षितिज के पार जाकर
आसमा को छू रहा हूं।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »डॉ. राजीव डोगरालेखक एवं कवि, (भाषा अध्यापक) गवर्नमेंट हाई स्कूल ठाकुरद्वाराAddress »गांव जनयानकड़, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) मो.: 9876777233Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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