धरती हिन्दुस्तान की

कविता नन्दिनी
रक्षित हिमगिरि से, सागर से प्यारा हिन्दुस्तान है
जिसके वीर सपूतों का गौरवशाली बलिदान है।।
वीरों की यह मातृभूमि है
होते वीर यहाँ अलबेले
राणा हों या लक्ष्मीबाई
हैं रचते इतिहास अकेले
प्रांत-प्रांत योद्धा उपजाती मिट्टी पर अभिमान है
रक्षित हिमगिरि से, सागर से प्यारा हिन्दुस्तान है…
आँखों में सपने पलते हैं
अरमानों को जोड़ा है
जिसने आँख उठाई इस पर
उसकी गरदन तोड़ा है
यहाँ सिकंदर भी बोला था पोरस वीर महान है
रक्षित हिमगिरि से, सागर से प्यारा हिन्दुस्तान है…
धनिक रहा हो या कि निर्धन
जीवन इस पर वारा है
इसके वीर सपूतों ने हर
दुश्मन को ललकारा है
एकलव्य के कंधों पर भी होता तीर – कमान है
रक्षित हिमगिरि से, सागर से प्यारा हिन्दुस्तान है…
भगत सिंह जैसे बेटों की
देश कहानी कहता है
हर भारतवासी के दिल में
इक बलिदानी रहता है
बिस्मिल और अश्फ़ाक सरीखा दे जाता पहचान है
रक्षित हिमगिरि से, सागर से प्यारा हिन्दुस्तान है…
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »कविता नन्दिनीकवयित्रीAddress »सिविल लाइन, आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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