अंश एक है तो वादों में क्यों फसे हो…?

सुनील कुमार माथुर
हम एक ही शक्ति और
एक ही ईश्वर के अंश है तब फिर यह कैसा
जातिवाद , भाषावाद , क्षेत्रवाद , सम्प्रदायवाद
जब हम एक ही शक्ति और
एक ही ईश्वर के अंश है तब फिर यह कैसी
हिंसा , दंगा-फसाद , आगजनी , पत्थरबाजी ,
जब हम एक ही शक्ति और
एक ही ईश्वर के अंश है तब फिर यह
कैसा भेदभाव , आरोप – प्रत्यारोप
जब हम सब हिन्दुस्तानी है और
हमारी रगों में दौडने वाला खून लाल ही है
तब फिर कैसा भेदभाव
हम एक ही शक्ति और
एक ही ईश्वर के अंश है तब ही तो
हमारा भारतवर्ष
कश्मीर से कन्या कुमारी तक एक हैं
जागों इंसान और पहचानों अपनी शक्ति को
तुम किसी से कम नहीं हो
अपनी सकारात्मक सोच को
देश के विकास व उत्थान में लगाईये और
एक नये भारत का नव निर्माण कीजिए
जहां सर्वत्र प्रेम व स्नेह की गंगा बहें
चारों ओर खुशियां ही खुशियां हो
हर देशवासी सुखी व साधन सम्पन्न हो
युवापीढ़ी संस्कारवान व चरित्रवान हो और
राष्ट्र की मुख्यधारा से जुडी हो
¤ प्रकाशन परिचय ¤
![]() |
From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
---|
Very nice
Very nice
Nice article
Nice article
True
Nice
Very nice