साहित्य लहर
ये कैसा तूफा चला जीवन में

राजेश ध्यानी ‘सागर’
ये कैसा
तूफा चला जीवन मे,
मन रोंये दिल घायल हैं
तन भी चला
मुरझाने को
इश्क कहें तू
पागल हैं।
इक धुन सुनायीं ,
दी मुझको
मैं उसका दीवांना हुआं,
उस धुन को
मैंने याद किया
पर स्वर
मैं उसके पा ना सका ।
उस धुन को
कितनी बार कहां
इस स्वर को
थोड़ा आसां बना
पींक मे इसको
पा ना सकूं ,
होंले से इसे
मुझें सुना ।
वो धुन बडीं
चालाक रहीं
जो चोरी करके आयीं थी ,
स्वर का उसकों ज्ञान नहीं
वों भरमानें आयी थी।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »राजेश ध्यानी “सागर”वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं लेखकAddress »144, लूनिया मोहल्ला, देहरादून (उत्तराखण्ड) | सचलभाष एवं व्हाट्सअप : 9837734449Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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