***
उत्तराखण्ड समाचार

हिमांतर प्रकाशन की प्रथम पुस्तक ‘मेरे हिस्से का हिमालय’ का विमोचन

यात्रा का अनुभव एकल से सामूहिकता की प्रक्रिया है... कोई मनुष्य कभी अकेले यात्रा नहीं करता है... उसकी यात्रा में बहुत कुछ दृश्य-अदृश्य साथ होता है...

(देवभूमि समाचार)

सभी वक्ताओं ने तनुजा जोशी की पुस्तक के बहाने यात्राओं के महत्व को रेखांकित किया…

यात्रा का अनुभव एकल से सामूहिकता की प्रक्रिया है। कोई मनुष्य कभी अकेले यात्रा नहीं करता है। उसकी यात्रा में बहुत कुछ दृश्य-अदृश्य साथ होता है। तनुजा जोशी ‘गुलमोहर गर्ल’ की सद्य प्रकाशित पुस्तक “मेरे हिस्से का हिमालय” इस बात की तस्दीक करती है। देहरादून से भराड़सर यात्रा के अनुभवों पर केंद्रित यह किताब उस पूरे इलाके की संस्कृति, सभ्यता और आर्थिकी के साथ सामाजिक संरचना के कई पक्षों को उद्घाटित करती है।

हिमांतर प्रकाशन से प्रकाशित इस पुस्तक का लोकार्पण आज वुडपैकर कैफे में हुआ। पुस्तक के लोकार्पण साहित्यकार दिनेश कर्नाटक, डॉ. पंकज उप्रेती, वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रशेखर करगेती, हल्द्वानी के उप जिलाधिकारी मनीष कुमार और हिमांतर के संपादक डॉ. प्रकाश उप्रेती के करकमलों से हुआ।

सभी वक्ताओं ने तनुजा जोशी की पुस्तक के बहाने यात्राओं के महत्व को रेखांकित किया। साथ ही एक इस ओर भी सबका ध्यान दिलाया कि हिंदी में ज्यादातर पुरुषों द्वारा लिखे गए यात्रा-वृतांत ही मौजूद हैं। किसी महिला का यात्रा करना और उसे लेखन के जारिय दर्ज़ करना सुखद है।

इस पुस्तक को पढ़ते हुए आप साक्षात यात्रा का अनुभव करेंगे। पहाड़ की यात्रा के कई पड़ावों से परिचित कराती यह किताब आपको छोटे-छोटे विवरणों के जरिए हिमालय के छोर पर ले जाती है। यात्रा के अनुभवों को समेटती यह किताब हिमालय के पड़ाव, बुग्याल, नदी, गाँव, गाड़-गधेरे सभी का चित्र उकेरती चलती है।

यात्रा-वृतांत की इस पुस्तक को पढ़ते हुए ऐसा लगता है कि हम स्वयं उस यात्रा में शामिल हैं। देहरादून से लेकर भराड़सर ताल की इस यात्रा के जारिए आप उस पूरे इलाके कि सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक बुनावट को भी समझ सकते हैं। यह समझ यात्राओं के महत्व को भी रेखांकित करती है।

साथ ही उस अनदेखे-अनजाने इलाके को लेकर भी आपकी समझ दुरुस्त करती है। किताब का एक प्रसंग देखिए- ‘यहाँ के हर मंदिर की छत पर लकड़ी से बना मुनाल और बकरी इस हिमालयी समाज के ऐतिहासिक पहलू को दर्शाता है।

मंदिर में लकड़ी के बने मुख्य द्वार पर हर दौर के सिक्के और नाग तथा हाथी घोड़े के अनेक भित्ति चित्र खुदे होने से हम मंदिर की पौराणिकता को समझ सकते हैं। यह यहाँ के हर प्रचीन मंदिर में देखने को मिलता है’। आप इस किताब को पढ़ते हुए रहस्य और रोमांच की सांस्कृतिक यात्रा का अनुभव भी करेंगे। इस लोकार्पण एवं परिचर्चा में बड़ी संख्या में शहर का बुद्धिजीवी वर्ग मौजूद था।

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights