हाईकोर्ट ने पूछा, किस मास्टर प्लान के तहत बना दून में फ्लाईओवर?, पांच जनवरी को होगी अगली सुनवाई
इसकी वजह से दूनघाटी में नियमविरुद्ध तरीके से विकास कार्य, खनन, पर्यटन व अन्य गतिविधियां गतिमान हैं। विकास कार्यों के लिए न तो मास्टर प्लान है और ना ही पर्यटन के लिए पर्यटन विकास योजना। जनहित याचिका में मांग की गई कि दूनघाटी में समस्त विकास कार्य मास्टर प्लान के तहत किए जाएं।
नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट ने दून घाटी को ईको सेंसिटिव जोन घोषित करने और मास्टर पालन के मुताबिक विकास योजनाएं न बनने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने शहरी विकास सचिव से पूछा कि बल्लीवाला और आईएसबीटी फ्लाईओवर का निर्माण किस स्वीकृत मैप, मास्टर प्लान के तहत किया गया?
कोर्ट ने उन्हें इस संबंध में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने प्रदेश के स्थायी अधिवक्ता से भी इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर देखने के लिए कहा है। मामले की अगली सुनवाई पांच जनवरी को होगी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। देहरादून निवासी आकाश वशिष्ठ ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि वर्ष 1989 में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने दूनघाटी को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था लेकिन 34 वर्ष बाद भी इस शासनादेश को प्रभावी तौर पर लागू नहीं किया गया।
इसकी वजह से दूनघाटी में नियमविरुद्ध तरीके से विकास कार्य, खनन, पर्यटन व अन्य गतिविधियां गतिमान हैं। विकास कार्यों के लिए न तो मास्टर प्लान है और ना ही पर्यटन के लिए पर्यटन विकास योजना। जनहित याचिका में मांग की गई कि दूनघाटी में समस्त विकास कार्य मास्टर प्लान के तहत किए जाएं। विकास कार्य करने से पहले वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति ली जाए।
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