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विरासत : धर्म, अध्यात्म और इतिहास, पुरातत्व

बलुआ पत्थरों से बना एक दर्शनीय मंदिर है 'बिहार में सूर्य मंदिर'

विरासत : धर्म, अध्यात्म और इतिहास, पुरातत्व, देव के सूर्य मंदिर में पूजा अर्चना से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. यहां के आसपास के इलाके में देव के सूर्य मंदिर के प्रति सभी लोगों के मन… पढ़ें बिहार से राजीव कुमार झा की कलम से…

औरंगाबाद बिहार का सुंदर शहर है और इसके पास स्थित देव को काफी प्राचीन नगर माना जाता है. यहां का पांचवी-छठी शताब्दी का बना सूर्य मंदिर सारे देश में प्रसिद्ध है. यह बलुआ पत्थरों से बना एक दर्शनीय मंदिर है और इसके आसपास ही इस मंदिर के निर्माता देव रियासत के शासकों के महलों के अवशेष भी स्थित हैं.

छठ बिहार का प्रमुख त्योहार है और सूर्योपासना का यह त्योहार कार्तिक महीने में यहां मनाया जाता है.इस अवसर पर देव के सूर्य मंदिर में लाखों लोगों की भीड़ भगवान सूर्य की उपासना में उमड़ती है. सूर्य को सनातन हिन्दू धर्म में प्रमुख देवता माना जाता है और ऋग्वेद में सूर्य की उपासना में सुंदर ऋचाओं का समावेश है.

देव के सूर्य मंदिर में पूजा अर्चना से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. यहां के आसपास के इलाके में देव के सूर्य मंदिर के प्रति सभी लोगों के मन में असीम आस्था है और इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां मुस्लिम काल में मंदिर के विध्वंस के लिए आयी विधर्मियों की सेना ने इस मंदिर की महिमा को देख कर इसे नष्टभ्रष्ट नहीं किया था और यह मंदिर तब से सूर्य के तेज बल और प्रताप की महिमा सबको सुनाता रहा है.




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