दिल पर लगी चोट
दिल पर लगी चोट, कहते हैं कि शरीर पर लगी चोट कुछ दिनों में ठीक हो जाती हैं लेकिन किसी के दिल पर लगी चोट कभी भी ठीक नहीं होती हैं। इसलिए जब भी बोले तब सोच समझ, जोधपुर (राजस्थान) से सुनील कुमार माथुर की कलम से…
जीवन में कोई भी कार्य छोटा या बडा नहीं होता हैं। बस आप हर कार्य को अपना समझ कर कीजिये फिर देखिये काम छोटा हो, बडा हो या कठिन। स्वतः ही आसान हो जाता हैं। चूंकि उसमे आपकी कठिन मेहनत, परिश्रम और पसीने की बूंदे मिलकर कार्य को बडा ही आसान बना देते हैं। अतः कार्य कोई सा भी हो, बस आप उसे अपनी पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ कीजिये। आपकों सफलता अवश्य ही मिलेगी।
अपने ज्ञान पर कभी भी अभिमान मत कीजिये अपितु ज्ञान को बांटते चलिए। इसी प्रकार कोई कार्य बडा हो तो फिर उसे मिल बांटकर कीजिये। कार्य कठिन हो तो समूह ( ग्रुप ) बनाकर कीजिये फिर देखिए कार्य कितनी आसानी से पूरा होता है। अपना हुनर दूसरों को भी सिखाए। अंहकार में पडकर बनते कार्य को न बिगाडें। कभी भी कोशिश करने से पहले हार न मानों।
काम न करने के बजाय धीरे धीरे कार्य करते रहना बेहतर हैं। जब आप मन में कुछ कर गुजरने की ठान लें तब प्रभु आपकी मदद अवश्य करते है। बस आज का कार्य कल पर न टालें। आज का काम आज ही करे और अभी से आरम्भ करे। चूंकि कार्य में विलम्ब ही समय की बर्बादी है।
कहते हैं कि शरीर पर लगी चोट कुछ दिनों में ठीक हो जाती हैं लेकिन किसी के दिल पर लगी चोट कभी भी ठीक नहीं होती हैं। इसलिए जब भी बोले तब सोच समझ कर ही बोले। कहीं ऐसा न हो कि आप किसी की भावना को ठेस पहुंचा बैठे और फिर जन्म भर कि दुश्मनी बन जायें।
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