साहित्य लहर
माँ मुझे लोरी सुना दे
महेश राठौर सोनू
माँ वो जन्नत की नींद एक बार फिर सुला दे
लगाकर अपनी छाती के मुझे लोरी सुना दे
सो जाओ मैं तेरे आंचल की सुनहरी छांव में
अपने हाथों को बनाकर झूला मुझे झूला दे
माँ…
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माँ तेरी गोद जो सारे दुख दर्द ,गम भुला दे
बैकुंठ धाम के करा दर्शन अमृत पिला दे
माँ भूखा और प्यासा बैठा है रब मेरे अंदर
अपना बचा हुआ टुकड़ा मुझे खिला दे,,
माँ…
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »महेश राठौर सोनूलेखक एवं कविAddress »गाँव राजपुर गढ़ी, जिला मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेशPublisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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