
धराली आपदा के बाद प्रदेश का स्वास्थ्य तंत्र अलर्ट मोड पर, सीएम के निर्देश पर स्वास्थ्य सचिव ने की समीक्षा
तीन प्रमुख अस्पतालों में आरक्षित चिकित्सा सुविधा, मनोचिकित्सकों की टीम भी राहत कार्यों में जुटी
राज शेखर भट्ट
देहरादून | उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में हाल ही में बादल फटने की भयावह घटना के बाद प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा तत्काल हरकत में आ गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्पष्ट निर्देशों के बाद स्वास्थ्य विभाग ने फौरन राहत और चिकित्सा सेवाओं का संचालन शुरू कर दिया है। विभाग की टीमें ग्राउंड ज़ीरो पर पहुंच चुकी हैं और घायलों को प्राथमिक उपचार दिया जा रहा है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि आपदा से उपजे हालातों को देखते हुए न केवल चिकित्सा सेवाओं को सक्रिय किया गया है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सरकार की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि एक भी पीड़ित इलाज से वंचित न रह जाए।
अस्पतालों में व्यवस्थाओं का गहन निरीक्षण, मुख्यमंत्री के निर्देशों को सख्ती से लागू करने का निर्देश
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बुधवार को देहरादून स्थित दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल और कोरोनेशन जिला अस्पताल का निरीक्षण किया। उन्होंने आपातकालीन सेवाओं, आईसीयू, जनरल वार्ड, उपकरणों की उपलब्धता और स्टाफ की उपस्थिति का जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी घायल और जरूरतमंदों को तत्परता से इलाज मिलना चाहिए। किसी भी सूरत में संसाधनों की कमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने अस्पताल प्रशासन को आदेशित किया कि आपदा से संबंधित सभी व्यवस्थाओं को अलर्ट मोड पर रखा जाए।
तीन प्रमुख अस्पतालों में आरक्षित चिकित्सा सुविधा: हर परिस्थिति से निपटने की तैयारी पूरी
धराली और आसपास के प्रभावित क्षेत्रों से संभावित घायलों को चिकित्सा सुविधा देने के लिए राज्य सरकार ने देहरादून के तीन प्रमुख अस्पतालों में बेड आरक्षित किए हैं। स्थिति इस प्रकार है:
• दून मेडिकल कॉलेज, देहरादून
- 150 जनरल बेड
- 50 आईसीयू बेड
• कोरोनेशन जिला अस्पताल, देहरादून
- 80 जनरल बेड
- 20 आईसीयू बेड
• एम्स, ऋषिकेश
- 50 जनरल बेड
- 20 आईसीयू बेड
इन अस्पतालों में डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल टीमें, आवश्यक दवाइयां और उपकरण पूरी तरह से उपलब्ध करा दिए गए हैं। सभी विभागों को चौबीसों घंटे सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। आपदा के मनोवैज्ञानिक प्रभाव को भी राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है। स्वास्थ्य सचिव ने जानकारी दी कि धराली क्षेत्र में तीन अनुभवी मनोचिकित्सकों की विशेष टीम भेजी गई है, जो राहत शिविरों में जाकर पीड़ितों की काउंसलिंग करेगी। यह टीम स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से काम करेगी और विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और सदमे में आए लोगों की मानसिक स्थिति को संभालने में मदद करेगी।
108 एम्बुलेंस सेवा पूरी तरह सक्रिय, राज्य भर के सीएमओ को अलर्ट
प्रदेश की 108 एम्बुलेंस सेवा को 24×7 एक्टिव मोड में रखा गया है। घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाने के लिए हर एम्बुलेंस पर trained पैरामेडिकल स्टाफ तैनात किया गया है। साथ ही सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को अलर्ट पर रखा गया है और आपदा प्रतिक्रिया टीमें तैनात कर दी गई हैं। स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता दी है। आपदा प्रबंधन में अब चिकित्सा तंत्र की भूमिका और सुदृढ़ बन रही है। राज्य सरकार की कोशिश है कि धराली आपदा के दौरान सभी संभावित चिकित्सा ज़रूरतों को तुरंत पूरा किया जाए, जिससे जान-माल के नुकसान को न्यूनतम किया जा सके।
राज शेखर भट्ट
(उत्तराखंड सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकार)
देहरादून, उत्तराखंड