आपके विचार

बच्चों को अच्छी व संस्कारवान शिक्षा दें

सुनील कुमार माथुर

इस नश्वर संसार में मुसीबत के वक्त तो हर कोई परमात्मा को याद करता है लेकिन जैसे ही संकट टल जाता है वह तत्काल ही परमात्मा को भूल जाता है । मुसीबत व संकट तो हर किसी पर आते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि संकट मिटा और हम प्रभु को भूल जाए । यह कैसी विडम्बना है ।

भगवान तो बडे ही दयालु है । वे तो हमें तार ही देंगे । आप जैसा व्यवहार दूसरों के साथ करोगे वैसा ही व्यवहार आपको वापस मिलेगा । अतः सदैव सबसे अच्छा व्यवहार करें । आप जैसा ध्यान करोगे वैसे ही हो जाओगे । अगर आप प्रभु का स्मरण करोगे तो प्रभु जैसा हो जाओगे ।

आप जैसा चिंतन करेंगे वैसा ही होते जायेंगे । आप अच्छाइयों का चिंतन करेंगे तो आप अच्छे व श्रेष्ठ नागरिक बन जायेंगे । लोग कहते है कि प्रभु पहले आसानी से प्रकट हो जाते थे । भक्त की थोड़ी सी भक्ति पर तत्काल प्रकट हो जाते थे लेकिन आज भगवान है कहां, वे कहां प्रकट होते हैं । लेकिन भगवान पहले भी थे और आज भी हैं और आगे भी रहेंगे ।

सृष्टि रहे या न रहे मगर भगवान सदैव उसी तरह बने रहते है । सृष्टि नष्ट होती है फिर बनती है, फिर नष्ट होती है फिर बनती है । मगर भगवान हर वक्त रहते है । लेकिन भगवान की भक्ति आज लोग पहले जैसे नहीं करते हैं । आज भक्त भगवान पर शक करता है । शंका करता है । लेकिन पहले भक्त निः स्वार्थ भाव से प्रभु की पूजा आराधना व भक्ति किया करते थे ।

क्रोध हमारा सबसे बडा शत्रु हैं । गुस्से से हम प्रभु को प्राप्त नहीं कर सकते । प्रभु को हम मात्र सत्संग से ही प्राप्त कर सकते हैं । कथा तो केवल सात दिन की ही होती हैं लेकिन सत्संग तो रोज होता है । अतः सत्संग रोज करना चाहिए । हर माता पिता का यह कर्तव्य है कि वे समय समय पर अपने बच्चों को अच्छी व संस्कारवान शिक्षा दे।

इस संसार में आये हैं तो ईश्वर भक्ति अवश्य ही कीजिए । लेकिन कभी भी किसी के साथ धोखा मत कीजिए और स्वार्थ की भक्ति और प्रेम कभी मत कीजिए । प्रेम व भक्ति करनी हो तो सच्चा प्रेम व सच्ची भक्ति कीजिए और अपने आप को प्रभु के चरणों में समर्पित कर दीजिए ।

आप नौकरी कीजिए, व्यापार कीजिए और कोई सा भी काम धंधा कीजिए लेकिन साथ ही साथ परमात्मा के नाम का भी स्मरण कीजिए । परमात्मा को भूलने की भूल कभी भी मत कीजिए । हर माता पिता अपने बच्चों की इच्छाओ को पूरा करने का प्रयास करते हैं और कई बार उनकी इच्छाओं को पूरी भी करते हैं।

फिर भी आपका बच्चा अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए दूसरे के पास जायें तो यह बात बच्चों के माता पिता के लिए उनके अपमान की बात हुई ठीक उसी प्रकार प्रभु तो हमारे परमपिता है । अतः जो कुछ भी मांगना हो वो सीधे उन्ही से मांगे । किसी अन्य से मांगोगे तो यह उस परमपिता का अपमान होगा ।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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