
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक जय सिंह रावत की पुस्तक “उत्तराखंड राज्य का नवीन राजनीतिक इतिहास” का विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पुस्तक पढ़ने की आदत, क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण और नई पीढ़ी को साहित्य व संस्कृति से जोड़ने का व्यापक संदेश दिया। कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, विधायक बृज भूषण गैरोला सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जय सिंह रावत द्वारा राज्य स्थापना के बाद की 25 वर्षों की राजनीतिक यात्रा को तथ्य, दस्तावेज़ और विश्लेषण के आधार पर संकलित करना एक कठिन और महत्वपूर्ण कार्य है। पाँच भागों में विभाजित यह पुस्तक विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी मानी जा रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने राज्य बनने के बाद राजनीतिक अस्थिरता का दौर भी देखा, जिसका विकास पर प्रभाव पड़ा। ऐसे समय के दस्तावेज़ीकरण को लेखक ने उत्कृष्ट रूप से प्रस्तुत किया है। मुख्यमंत्री ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा— “इतिहास लिखना facts और honesty का काम है। रावत जी ने इस ज़िम्मेदारी को पूरी निष्ठा के साथ निभाया है।”
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मुख्यमंत्री धामी ने पुस्तक पढ़ने की आदत पर विशेष जोर देते हुए कहा कि तकनीक और AI कितनी भी उन्नत हो जाए, पुस्तकें कभी विकल्प नहीं बन सकतीं। उन्होंने कहा— “किसी भी कार्यक्रम में ‘बुके नहीं, बुक दीजिए’। इससे न केवल किताबों के प्रति रुचि बढ़ेगी, बल्कि लेखक और साहित्यकारों को भी सम्मान मिलेगा।” मुख्यमंत्री ने प्रदेश की स्थानीय भाषाओं—गढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी—के संरक्षण पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि सरकार इन भाषाओं के डिजिटलाइजेशन, साहित्य संग्रह, गीत-संग्रह, शोध और डिजिटल कंटेंट को प्रोत्साहित कर रही है। नई पीढ़ी के कंटेंट क्रिएटर्स के लिए प्रतियोगिताएँ और विशेष कार्यक्रम भी प्रारंभ किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भाषा और संस्कृति केवल पहचान का हिस्सा नहीं, बल्कि हमारी विरासत की नींव हैं। इसलिए आवश्यक है कि घरों और विद्यालयों में अपनी बोली-भाषाओं का अधिक उपयोग हो, ताकि बच्चे अपनी जड़ों से जुड़ें और उनमें सांस्कृतिक आत्मविश्वास मजबूत हो। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा— “AI कितना भी आगे बढ़ जाए, पुस्तकों से मिलने वाला ज्ञान, गहराई और चिंतन उसे कभी प्रतिस्थापित नहीं कर सकता।” उन्होंने कहा कि सरकार स्थानीय भाषाओं और साहित्य के डिजिटल संरक्षण की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है, ताकि नई पीढ़ी आसानी से अपनी मातृभाषाओं की समृद्ध सामग्री तक पहुँच सके। डिजिटल माध्यमों के विस्तार से स्थानीय भाषाएँ और अधिक सशक्त और व्यापक रूप से उपलब्ध होंगी।
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कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री ने सभी से पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने, स्थानीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ाने और साहित्य एवं लोक संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का सामूहिक आह्वान किया।





