फर्जी डिग्री-डिप्लोमा : न गठित हुई एसआईटी, कर्मचारियों का चला पता

फर्जी डिग्री-डिप्लोमा : न गठित हुई एसआईटी, कर्मचारियों का चला पता, यूनिवर्सिटी कर्मचारियों का भी पुलिस को सुराग नहीं लग रहा है। सीओ तपेश चंद का कहना है कि मामले की विवेचना की जा रही है। 

रुद्रपुर। छह माह पहले शहर की मेट्रोपोलिस सिटी से भंडाफोड़ हुए फर्जी डिग्री-डिप्लोमा बनाने वाले कार्यालय के बारे में पुलिस की विवेचना कछुआ गति से चल रही है। मामले में अब तक न ही एसआईटी गठित हुई और न यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों का ही कुछ पता चल सका है। घटना के बाद से अब तक पुलिस ने सिर्फ चार्जशीट ही कोर्ट में दाखिल की है।

10 नवंबर को पुलिस ने सत्यापन अभियान के दौरान मेट्रोपोलिस सिटी के टावर एच-9 के फ्लैट नंबर दो से फर्जी डिग्री-डिप्लोमा, अंकतालिका और सर्टिफिकेट बनाने के धंधे का भंडाफोड़ किया था। पुलिस ने मौके से भारी मात्रा सर्टिफिकेट बनाने की सामग्री, कागज और तैयार मार्कशीट बरामद की थी।

पुलिस ने मार्कशीट तैयार करने वाले बनबसा निवासी गौरव चंद, डोईवाला देहरादून निवासी अजय कुमार को गिरफ्तार किया था। जबकि फर्जी मार्कशीट बनाने वाला मुख्य कारोबारी आवास विकास निवासी नवदीप भाटिया फरार हो गया। काफी तलाश के बाद पुलिस ने करीब 10 दिन बाद उसे गिरफ्तार किया था।

वहीं मामले में विलियम कैरे यूनिवर्सिटी(शिलांग) के कर्मचारी गौरव अग्रवाल और जितेंद्र उर्फ सुखपाल का नाम भी सामने आया। जिन पर सर्टिफिकेट के सत्यापन कराने का आरोप था। पुलिस को वहां से देश की पांच यूनिवर्सिटी के कागजात मिले थे।

घटना के बाद एसएसपी ने मामले में एसआईटी गठित करने की बात की थी लेकिन अब तक इसका गठन नहीं हुआ। हजारों युवाओं इन मार्कशीटों को खरीद चुके हैं। एसएसपी ने सभी की जांच करने की बात भी की थी लेकिन मामले में कार्रवाई अब तक आगे नहीं बढ़ी है।

यूनिवर्सिटी कर्मचारियों का भी पुलिस को सुराग नहीं लग रहा है। सीओ तपेश चंद का कहना है कि मामले की विवेचना की जा रही है। गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट पेश कर दी गई है। जल्द ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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