प्लांट की अर्थिंग जांच में फेल, ठीक होती तो टल सकती थी दुर्घटना
प्लांट की अर्थिंग जांच में फेल, ठीक होती तो टल सकती थी दुर्घटना, एसटीपी के पास रहने वाली भवानी देवी का कहना है कि यहां इससे पहले वर्ष 2019 और 2020 में भी प्लांट में करंट फैलने से कई व्यक्ति झुलस गए थे। एक श्रमिक का तो हाथ तक काटना पड़ा था।
देहरादून। चमोली के एसटीपी में सुरक्षा मानकों की हर स्तर पर अनदेखी की गई। यहां तक कि प्लांट में विद्युत के झटकों और खतरों से सुरक्षा हेतु की गई अर्थिंग व्यवस्था भी मानकों पर खरी नहीं थी। ऊर्जा निगम के अधिकारियों का कहना है कि अगर अर्थिंग मानकों के तहत होती तो शार्ट शर्किट के बाद भी दुर्घटना टल सकती थी।
इससे प्लांट का निर्माण करने वाली एजेंसी की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इस प्लांट का संचालन शुरू होने के साथ ही यहां करंट फैलने की घटनाएं सामने आने लगी थीं। शुरुआत में स्थानीय लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब करंट की घटनाएं बढ़ीं तो प्लांट में विद्युत सुरक्षा मानकों को लेकर सवाल खड़े होने लगे।
अब जांच में प्लांट की खामियां एक-एक कर उजागर हो रही हैं। हादसे के बाद तकनीकी जांच के लिए प्लांट पहुंची ऊर्जा निगम की टीम को यहां अर्थिंग की व्यवस्था भी सही नहीं मिली। ऊर्जा निगम के अधिकारियों ने बताया कि प्लांट में तीन अलग-अलग स्थानों पर अर्थिंग की जांच की गई। जिसमें अर्थिंग क्रमश: 14, 15 और 18 ओम पाई गई। जबकि, सामान्य तौर पर अर्थिंग एक ओम या इससे कम होनी चाहिए। अर्थिंग से करंट जमीन में उतर जाता है।
ओम विद्युत प्रतिरोध की इकाई है, यह जितना कम होता है बिजली को धरती में जाने में उतना कम समय लगता है। जबकि, प्लांट में ठीक इसका उलटा हुआ। प्रतिरोध अधिक होने के कारण विद्युत केबल से लीक हुई बिजली सीधे धरती में जाने की बजाय टिन व लोहे के ढांचे में दौड़ती रही। इससे वहां उपस्थित व्यक्ति करंट की चपेट में आए। साथ ही लो ट्रांसमिशन लाइन का करंट अपेक्षाकृत कम वोल्टेज होने के कारण लीक होने पर धरती में जाने में कुछ माइक्रो सेकेंड अधिक लेता है।
इसलिए जरूरी है अर्थिंग जब हम किसी भी विद्युत उपकरणों का अर्थिंग (earthing) कर देते हैं तो उस उपकरण का जो बाहरी भाग है जिस पर सामान्यतः विद्युत आवेश नहीं रहना चाहिए लेकिन अगर किसी फाल्ट कंडीशन के कारण उस पर विद्युत आवेश आ जाता है। वह आवेश या विद्युत धारा सीधे अर्थ वायर के रास्ते जमीन में चला जाता है।
जिससे उसके बाहरी वाले भाग में विद्युत आवेश जीरो हो जाता है और बिजली का झटका लगने से बच जाता है। इसलिए जरूरी है अर्थिंग अर्थिंग की मदद से फाल्ट की स्थिति में लीक हुआ करंट सीधे जमीन में चला जाता है। अर्थिंग देने से विद्युत उपकरण के बाहरी भाग का विभव (वोल्टेज) जमीन के वोल्टेज के बराबर यानी शून्य रहता है। इससे उपकरण को छूने पर बिजली का झटका लगने का डर नहीं रहता। आकाशीय बिजली गिरने की स्थिति में भी अर्थिंग से करंट सीधे जमीन में चला जाता है।
अलकनंदा नदी के किनारे चट्टान के ऊपर बने इस प्लांट में अर्थिंग के लिए भूमि नहीं मिल पाई। ऐसे में चट्टान में ही एक फीट की खोदाई कर अर्थिंग प्लेट दबा दी गई। जबकि, ऊर्जा निगम के अधिकारियों का कहना है कि 25 केवी कनेक्शन वाले इस प्लांट में अर्थिंग की प्लेट को कम से कम जमीन में चार से छह फीट गहराई में दबाया जाना चाहिए।
एसटीपी के पास रहने वाली भवानी देवी का कहना है कि यहां इससे पहले वर्ष 2019 और 2020 में भी प्लांट में करंट फैलने से कई व्यक्ति झुलस गए थे। एक श्रमिक का तो हाथ तक काटना पड़ा था। उनका कहना है कि तब प्लांट के अधिकारियों ने अर्थिंग की मरम्मत का दावा किया था।
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