
राजाजी टाइगर रिजर्व के चिल्ला जोन में हाथी सफारी की बहुप्रतीक्षित शुरुआत आखिरकार हो गई है। यह केवल पर्यटन गतिविधि का पुनरारंभ नहीं, बल्कि उन सात हाथियों की अद्भुत और प्रेरक जीवन–यात्राओं का उत्सव है, जिन्हें बचाया गया, संभाला गया और प्यार देकर नया जीवन दिया गया। इन हाथियों की कहानियां यह साबित करती हैं कि करुणा, धैर्य और संवेदनशीलता किसी भी कठिन परिस्थिति को बदल सकती है। इस वर्ष चिल्ला पर्यटन जोन में जिन हाथियों के साथ हाथी सफारी आरंभ हुई है, उनका संचालन वरिष्ठ हथिनियों राधा और रंगीली द्वारा किया जा रहा है।
चिल्ला हाथी शिविर आज सात रेस्क्यू हाथियों का सुरक्षित घर है, और हर हाथी संघर्ष, पुनर्वास और आशा की अनोखी कहानी बयां करता है। इन कहानियों में जीवन से जूझते अनाथ गज शिशुओं का धैर्य है, जंगल में संघर्षों का दर्द है और संरक्षण की वह रोशनी है जिसने इन सबका भविष्य बदल दिया। सबसे अनुभवी हथिनी राधा, जो 2007 में दिल्ली जू से लाई गई थी, आज शिविर की मातृशक्ति मानी जाती है। उसने नन्हे–मुझे गज शिशुओं—रानी, जॉनी, सुल्तान और कमल—को मां की ममता से पाला। सफारी के दौरान वह अपने नेतृत्व और शांत स्वभाव से पर्यटकों को जंगल की गहराइयों में सुरक्षित ले जाती है।
Government Advertisement
इसके साथ आई रंगीली भी समूह की अनुशासित, संयमी और अनुभवी सदस्या है। वह हाथी शावकों की देखभाल करती है और उन्हें जंगल का व्यवहार सिखाती है। दोनों हथिनियों की मित्रता और सामंजस्य इतना गहरा है कि सफारी में इन्हें हमेशा साथ जोड़ा जाता है। इनमें सबसे संवेदनशील कहानी राजा की है, जिसे 2018 में मानव–हाथी संघर्ष के बाद पकड़कर चिल्ला लाया गया था। लंबे समय तक देखभाल और प्रशिक्षण ने उसे तनाव और भय से बाहर निकाला। आज वही राजा मानसून के दिनों में स्टाफ को अपनी पीठ पर बैठाकर दुर्गम क्षेत्रों में गश्त कराता है।
रानी, जिसे सिर्फ तीन महीने की उम्र में गंगा की तेज धारा से बचाया गया था, आज एक आत्मविश्वासी और सौम्य युवा हथिनी बन चुकी है। राधा ने उसे अपनी बेटी की तरह पाला और जंगल की हर सीख उसे धीरे-धीरे दी। अनाथ गज शिशु जॉनी और सुल्तान, जिन्होंने अलग-अलग संकटों में अपनी मां खोई थी, आज भाई की तरह रहते हैं। अभी वे गश्त के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं, लेकिन हाथियों के लिए जंगल से चारा लाने में अहम योगदान देते हैं। सबसे छोटा सदस्य कमल, जिसे 2022 में रवासन नदी से बचाया गया था, अभी राधा की छत्रछाया में सीख रहा है। वह आदेश पहचानने और जंगल की छोटी यात्राओं में खुद को ढालने लगा है।
सूचना विभाग में चल रही कारगुजारियों से संबंधित समाचार
- क्लिक करें- सूचना विभाग : पारदर्शिता का खोखला ढांचा और आरटीआई की अनदेखी
- क्लिक करें- डीजी बंशीधर तिवारी के कार्यकाल में बढ़ी अपारदर्शिता की शिकायतें
- क्लिक करें- सितम्बर 2022 : सूचना विभाग सवालों के घेरे में
- क्लिक करें- RTI : 12 रूपये लेकर भी कागजों में गुमराह कर रहा है सूचना विभाग
- क्लिक करें- सीएम पोर्टल बना अफसरों का आरामगाह
अधिकारियों के अनुसार, चिल्ला हाथी शिविर इस बात का जीवंत उदाहरण है कि यदि मनुष्य संवेदनशीलता और करुणा के साथ कार्य करे, तो जंगल और वन्यजीवों के बीच संतुलित और सम्मानपूर्ण संबंध स्थापित किया जा सकता है। हाथी सफारी इसी संदेश को आगे बढ़ाती है—कि संरक्षण और विकास साथ-साथ चल सकते हैं। मानसून के दिनों में जब कई रास्ते जलमग्न हो जाते हैं, तब यही हाथी जंगल की सुरक्षा में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे स्टाफ को दुर्गम इलाकों में ले जाकर गश्त सुनिश्चित करते हैं और वन्यजीव संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कड़ी बनते हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व की यह नई पहल न केवल पर्यटन को नया जीवन दे रही है, बल्कि मानव–वन्यजीव सह-अस्तित्व की एक संवेदनशील मिसाल भी पेश कर रही है।





