अंहकार और मैं

अंहकार और मैं, जीवन में कभी भी सत्य का साथ न छोड़े। हमारी ईमानदारी और सच्चाई ही हमें सही पथ की ओर ले जाती है और हमारी नकारात्मक सोच को सकरात्मकता, जोधपुर (राजस्थान) से सुनील कुमार माथुर की कलम से…
अंहकार और क्रोध में जब मैं आप पर हावी हो जाता हैं तब वह सर्वनाश कर देता हैं चूंकि क्रोध में व्यक्ति के मन और शरीर दोनों को नुकसान होता हैं। क्रोध, अंहकार और मैं कभी भी किसी को आगे नहीं बढने देते हैं अपितु ये तो विनाश के ही सूचक हैं। अतः मैं, अंहकार व क्रोध को कभी भी अपने पर हावी न होने दें अपितु इनसे सदैव दूर रहे।
जीवन में कभी भी सत्य का साथ न छोड़े। हमारी ईमानदारी और सच्चाई ही हमें सही पथ की ओर ले जाती है और हमारी नकारात्मक सोच को सकरात्मकता सोच में परिवर्तित करके हमारे जीवन में नई ऊर्जा का संचार करते है। जहां सत्य और ईमानदारी हैं वहां डर, भय, गुस्से का कोई स्थान नहीं हैं।
वहां तो सदैव प्रगति के ध्दार खुले मिलते है ज्ञान का सागर हिलोरे लेता मिलता है और चारों ओर खुशियां ही खुशिया नजर आती हैं। अतः जीवन में कभी भी मैं और अंहकार को हावी न होने दे।
अंहकार हमें झूठ बोलना सीखाता है। सच्चाई के मार्ग से भटकाने का कार्य करता हैं और हमें पतन के मार्ग की ओर ले जाता हैं। अतः सत्य के मार्ग पर चले और अपने जीवन को संवारे।
मेरे विचार : मैं कौन हूं, लक्ष्यविहीन जीवन…!
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