गौ वंश के इलाज में डा. निखिल अग्निहोत्री जी ने दिखाई दरियादिली
गौ वंश के इलाज में डा. निखिल अग्निहोत्री जी ने दिखाई दरियादिली, डा. साहब का यह जीव प्रेम है। नंदू के उपचार के चलते वे होली पर गांव भी नहीं जा सके। नंदू अब लगभग 90% ठीक हो चुका है। लेकिन अभी भी निरंतर देखभाल जारी है। ✍🏻 मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
कानपुर। वनस्पतिविज्ञान प्रवक्ता डा. निखिल अग्निहोत्री ने फरवरी में किसी काम से जाते समय एल्डिको हाउसिंग सोसाइटी जवाहरपुरम, कल्याणपुर के पास एक घायल सांड देखा। जिसे किसी ने कुल्हाड़ी से मार कर घायल किया था। तडपते को देख डा. साहब का हृदय व्याकुल हुआ तो उपचार के लिए कई सरकारी और प्राइवेट डाक्टरों से संपर्क किया गया, परंतु फीस लेकर भी कोई डॉक्टर छुट्टा सांड का इलाज करने को तैयार नहीं हुआ।
फिर सांड की दशा देख कर पशु चिकित्सक की सलाह से डा. निखिल ने स्वयं ही नंदू (सांड) को गीले आटे या समोसे में रखकर घाव सूखने और दर्द की दवा खिलाने लगे। बाद में सुधार न होता देख कर नंदू को जाल डाल कर पकड़वाया और घावों को ड्रेसिंग की गई। बड़ा घाव होने के चलते बांध कर उपचार करने का सोचा गया। तो नंदू को एल्डिको हाउसिंग सोसाइटी के सामने पेड़ से बांध दिया गया।
नंदू को बंधवाने एवं देखभाल में मनीष जायसवाल, सुशील तिवारी, अभिषेक प्रजापति रुद्राक्ष एवं हेल्पिंग हैंड्स संस्था के लोगो ने मदद की। तब से अबतक नंदू का 2 महीने से निरंतर उपचार चल रहा है। नंदू के उपचार में अबतक निखिलजी अपना पूरा बैंक बैलेंस लगभग 45000 रुपया लगा चुके हैं।
डा. साहब का यह जीव प्रेम है। नंदू के उपचार के चलते वे होली पर गांव भी नहीं जा सके । नंदू अब लगभग 90% ठीक हो चुका है। लेकिन अभी भी निरंतर देखभाल जारी है। नंदू के साथ ही दो और घायल सांडो का उपचार चल रहा है।
डा. निखिल का कहना है बहुत से घायल चोटिल जानवर मिलते हैं जिनके लिए कोई 200-300 की दवा भी करवा दे तो वो ठीक हो सकते हैं, पर लापरवाही एवं जागरूकता की कमी के चलते ऐसा नहीं हो रहा है, यह बहुत ही दुःख की बात है।
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