
मुंबई। भारतीय सिनेमा के ‘ही-मैन’ कहलाने वाले महान अभिनेता धर्मेंद्र का सोमवार, 24 नवंबर को मुंबई स्थित उनके आवास पर 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। महीने की शुरुआत में सांस लेने में तकलीफ के बाद उन्हें ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद उनकी तबीयत लगातार नाजुक बनी हुई थी। छह दशकों से भी अधिक समय तक भारतीय फिल्मों पर राज करने वाले धर्मेंद्र अपने पीछे ऐसी विशाल विरासत छोड़ गए हैं, जिसे भारतीय सिनेमा की सुनहरी धरोहर माना जाता है। उनकी अंतिम फिल्म इक्कीस इसी वर्ष 25 दिसंबर को रिलीज़ होने वाली है, जो अब उनके प्रशंसकों के लिए भावुक क्षण लेकर आएगी।
धर्मेंद्र के निधन की खबर सामने आते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर भावपूर्ण संदेश साझा करते हुए कहा कि धर्मेंद्र का जाना भारतीय सिनेमा के एक युग का अंत है। उन्होंने लिखा कि धर्मेंद्र न केवल एक प्रतिष्ठित अभिनेता थे, बल्कि ऐसे कलाकार थे जिन्होंने हर भूमिका में आकर्षण, सहजता और गहराई भर दी। उनका बहुआयामी अभिनय अनगिनत दर्शकों के दिलों को छूता था। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि धर्मेंद्र की सादगी, विनम्रता और गर्मजोशी उन्हें अन्य कलाकारों से अलग बनाती थी। उन्होंने दिवंगत अभिनेता के परिवार, मित्रों और असंख्य प्रशंसकों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।
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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा कि धर्मेंद्र सिर्फ़ एक महान अभिनेता ही नहीं, बल्कि बेहद सरल, सौम्य और जमीन से जुड़े व्यक्ति थे। गडकरी ने बताया कि उनका धर्मेंद्र से व्यक्तिगत संबंध रहा है और अभिनेता अक्सर उनसे मिलने जाया करते थे। उन्होंने कहा कि धर्मेंद्र देश, समाज और किसानों के हित में भी गहरी रुचि रखते थे, और उनका निधन फिल्म उद्योग के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने परिवार के साथ अपनी घनिष्ठता का उल्लेख करते हुए सनी देओल, बॉबी देओल और हेमा मालिनी के साथ अपने संबंधों को भी याद किया।
धर्मेंद्र के परिवार में उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर, दूसरी पत्नी हेमा मालिनी, और उनके छह बच्चे—सनी देओल, बॉबी देओल, ईशा देओल, अहाना देओल, अजीता और विजेता—शामिल हैं। परिवार के सदस्यों के लिए यह क्षति अत्यंत व्यक्तिगत और गहरी है, क्योंकि धर्मेंद्र अपने परिवार से गहरा जुड़ाव रखते थे और अपने बच्चों के करियर और जीवन में सक्रिय रूप से भाग लेते थे।
1960 की फ़िल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत करने वाले धर्मेंद्र ने एक ऐसा करियर बनाया, जिसमें उन्होंने तीव्र, एक्शनप्रधान, रोमांटिक और हास्य—हर तरह के चरित्रों को समान प्रभावशाली ढंग से निभाया। 2012 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया, जो उनके असाधारण योगदान की आधिकारिक पहचान थी। शोले, चुपके-चुपके, मेरा गांव मेरा देश, यादों की बारात, प्रतिज्ञा, नौकर बीवी का, धरम वीर, जुगनू, चरस, आई मिलन की बेला, जीवन मृत्यु, आंखें, आया सावन झूम के, अपने जैसी उनकी अनगिनत फिल्मों ने बॉलीवुड के इतिहास में अमिट अध्याय जोड़े हैं।
उनका जाना भारतीय फिल्म जगत के एक ऐसे सितारे का बुझ जाना है, जिसकी रोशनी ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया और मनोरंजन की दुनिया को नई दिशा दी। उनकी जीवनभर की मेहनत, कार्यशैली और मानवीय गुण हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे।







