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भक्त भगवान के और भगवान भक्त के लिए

सुनील कुमार माथुर

भगवान के कार्य में खर्च किया गया धन कभी भी घटता नहीं है । सद् कार्य में व्यय किया गया धन घटता है ऐसा कभी भी किसी से सुना नहीं है । अपितु धन खर्च करने वाले का बढता ही है । वह पहले कि अपेक्षा अधिक साधन सम्पन्न हो जाता है । अतः प्रभु की भक्ति श्रद्धा व विश्वास के साथ करें । उन्हें स्नान करावे, सुन्दर सुन्दर वस्त्र पहनावे, भोग लगावे , पूजा पाठ करें, भजन-कीर्तन करें । आप जितना भी समय प्रभु की सेवा में लगायेंगे वही आपका समय श्रेष्ठ है बाकी सब व्यर्थ है भगवान का नाम लेने, स्मरण करने, भजन-कीर्तन करने व सुनने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है व नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती हैं ।

भगवान के भक्त को कष्ट देने वाले को भगवान कभी भी माफ नहीं करते हैं भले ही वह कोई सन्त भी क्यों न हो । यह मानव जीवन बङा ही दुर्लभ है । अतः इस जीवन को यूं ही बर्बाद न करें । बडे वे लोग हैं जिनमें त्याग करने की प्रवृत्ति हो । चरित्रवान हो । दूसरी औरतों को अपनी मां , बहन, बेटी समझे । उन पर कभी भी बुरी नजर न डालें । तभी हम सभ्य समाज की स्थापना कर पायेंगे । आज समाज में कुछ दरिन्दे नारी की इज्जत के साथ खेल रहे है जो अच्छे संस्कारों की कमी का ही परिणाम है । हम अपने बच्चों से इतनी रात बाहर क्या कर रहा था । किसके साथ था । यह नहीं पूछते है । चूंकि हम स्वंय क्लबों में जाते है । बाहर से खाकर आते हैं । बस इसी डर से नहीं पूछते है कि कहीं हमारी औलाद ने यह सब हम से पूछ लिया तो । आज अच्छे संस्कारों के अभाव में संतानें बिगड रही हैं और जब वह अपराध करती है तो हम फिर पुलिस व प्रशासन को दोषी ठहराते है जो न्याय संगत नहीं है । गलती हमारी है कि हम अपनी संतान को अच्छे संस्कार दे ।

हम भगवान के लिए जो भी कार्य करते हैं वह प्रभु की भक्ति ही कहलाता है । मगर आज हम जो भी कार्य कर रहे है वह अपने लिए ही कर रहे है और भगवान के लिए कुछ भी नहीं कर रहे है । अगर आंसू भी बहाना हो तो भगवान के लिए बहाये । इस संसार के लिए नहीं । हमें भी मीरांबाई की तरह से निःस्वार्थ भाव से भक्ति करनी चाहिए । न जाने कब मिट्टी से बना यह शरीर माटी में मिल जाये । भक्त को भगवान ही आशीर्वाद दे सकते हैं । हम भगवान को नहीं । हम भगवान को क्या दे सकते हैं । भगवान के पास तो पहले से ही सब वस्तुएं मौजूद है ।

भक्त तो कहता है कि हे प्रभु आप ही बताइए कि आप के पास कौन सी वस्तु नहीं है जो आप हमें बता दीजिए ताकि हम पहले आपको वही चीज दे । भगवान से बडा कोई नहीं है । भक्त भगवान के हैं और भगवान भक्त के हैं । व्यक्ति को सादा जीवन और उच्च विचारो वाला होना चाहिए । साथ ही साथ व्यावहारिक भी होना चाहिए । मात्र किताबी ज्ञान से जीवन में कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है । माता पिता को अपने बच्चों से अघात प्रेम होता है । इसलिए वह उनके लिए सब कुछ लूटा देते है । मगर किसी भिखारी को एक रूपया देते हुए भी उन्हें जोर आता है चूंकि भिखारी से उन्हें प्रेम नहीं है ।

अगर भगवान के दर्शन हो जाये तो दुनिया की सारी दौलत बेकार लगने लगती है । बुरे कार्य में धन खर्च करते हैं तो वह समाप्त होता है लेकिन जो धन परमार्थ के कार्य में खर्च होता है तो फिर वह धन बढता ही है घटता नहीं है ।

लेखक परिचय

Devbhoomi
Name »

सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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