भू-कानून की मांग : उत्तराखंड में प्रदर्शन, मुख्यमंत्री आवास के घेराव की कोशिश

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भू-कानून की मांग : उत्तराखंड में प्रदर्शन, मुख्यमंत्री आवास के घेराव की कोशिश, प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जल जंगल और जमीन जो हमारी मुख्य पूंजी है उसपर एक साजिश के तहत बाहरी तत्व सरकारी संरक्षण में कब्जा कर रहे है। सरकारी सेवाओं में बाहरी लोगों को धनबल के चलते नियुक्तियां भी मिल रही हैं.

देहरादून। उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून को लेकर बुधवार को जमकर प्रदर्शन हुआ। प्रदेश में सशक्त भू कानून, मूल निवास 1950 और धारा 371 की मांग को लेकर विभिन्न संगठनों ने आज मुख्यमंत्री आवास पर धरना धरना देने के लिए कूच किया। पुलिस ने विजय कॉलोनी से पहले बैरिकेडिंग लगाकर रोका। पुलिस के द्वारा रोके जाने के बाद आंदोलनकारियों के साथ नोकझोंक भी देखने को मिली।

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोंकझोंक हुई। प्रदर्शनकारी बैरिकेडिंग पर ही धरने पर बैठे। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उत्तराखंड राज्य बनने के 23 साल बाद भी आज राज्य के मूल निवासियों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। उल्टा राज्य के मूल निवासियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जल जंगल और जमीन जो हमारी मुख्य पूंजी है उसपर एक साजिश के तहत बाहरी तत्व सरकारी संरक्षण में कब्जा कर रहे है। सरकारी सेवाओं में बाहरी लोगों को धनबल के चलते नियुक्तियां भी मिल रही हैं और यहां का मूल निवासी बेरोजगार हो रहा है। सरकार हमारी बातों पर ध्यान नहीं दे रही है।

प्रदेश में सशक्त भू कानून लागू किए जाने की पैरवी करते हुए प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पूरे हिमालयी राज्यों में वहां के मूल निवासियों के लिए विशेष कानून है, लेकिन उत्तराखंड में सरकार ने इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं की है। उत्तराखंड के मूल निवासियों के अधिकार सुरक्षित रहें और उस राज्य के शहीदों के सम्मान के अनुरूप यह राज्य बन पाए, इसलिए प्रदेश में भू कानून, मूल निवास 1950 और धारा 371 का कानून लाना जरूरी हो गया है।


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भू-कानून की मांग : उत्तराखंड में प्रदर्शन, मुख्यमंत्री आवास के घेराव की कोशिश, प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जल जंगल और जमीन जो हमारी मुख्य पूंजी है उसपर एक साजिश के तहत बाहरी तत्व सरकारी संरक्षण में कब्जा कर रहे है। सरकारी सेवाओं में बाहरी लोगों को धनबल के चलते नियुक्तियां भी मिल रही हैं.

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