Dehradun : चालान की राशि के 29 लाख रुपये का गबन
पूर्व एआरटीओ आनंद जायसवाल के खिलाफ विजिलेंस ने चार्जशीट तैयार
आनंद जायसवाल वर्ष 2009 बैच के पीसीएस अधिकारी हैं। आरोप है कि परिवहन विभाग में नियुक्ति मिलते ही उन्होंने पद का दुरुपयोग शुरू कर दिया। वर्ष 2010 से 2015 के बीच ऋषिकेश में परिवहन कर अधिकारी के साथ एआरटीओ का अतिरिक्त प्रभार संभाला। दोहरी जिम्मेदारी का लाभ उठाते हुए उन्होंने चालान की अधिक राशि वसूली और पूरा राजस्व सरकार को नहीं दिया। एक-एक हजार रुपये के चालान कर कोष में महज 100-100 रुपये दिखाए। उन्होंने कुल 29 लाख रुपये का गबन किया था।
देहरादून। जैसा कि आम जनता को भी अब नये-नये और पुराने मामले नजर आ रहे है। कोई घोटाला कर रहा है तो कोई गबन। कोई मर्डर कर रहा है तो कोई बलात्कार। देवभूमि की अस्थाई राजधानी देहरादून में एक पुराना और अब नया मामला सामने आया है। जिसमें आरटीओ की चालान राशि का गबन किया गया है।
सूत्रों के हवाले से गबन के मामले में जेल में बंद पूर्व एआरटीओ आनंद जायसवाल के खिलाफ विजिलेंस ने चार्जशीट तैयार कर ली है। विजिलेंस ने इसे दाखिल करने के लिए शासन से अनुमति मांगी थी। शासन की सतर्कता समिति ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति दे दी है। क्या सरकार इन सभी मामलों की जांच करवाकर और दोषी को सजा दिलवाकर ही दम लेगी अथवा भविष्य में ऐसा मामला सामने न आये, इसका प्रयास करेगी।
सोचने वाली बात है कि क्या आईएस, पीसीएस अथवा अन्य वरिष्ठ पदवीधारकों का (जो घपले-घोटालों में सम्मिलित हैं) उनकी तनख्वाह से पेट नहीं भरता… क्या?
मामले को संज्ञान में लें तो एआरटीओ पर करीब 29 लाख रुपये के गबन का आरोप है। विजिलेंस ने मामले की प्राथमिक जांच के बाद 18 मार्च 2017 को धोखाधड़ी, गबन, भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज किया था। करीब छह घंटे पूछताछ के बाद छह सितंबर को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। विजिलेंस ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम, धोखाधड़ी और गबन के आरोप में चार्जशीट तैयार कर ली है। कुल मिलाकर सभी विभागों से नयी-नयी ताजा आपराधिक घटनायें सामने आ रही हैं।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई सतर्कता समिति की बैठक में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल करने की अनुमति मिल गई है। हालांकि, अभी लिखित अनुमति विजिलेंस के पास नहीं पहुंची है। बताया जा रहा है कि अगले सप्ताह तक विजिलेंस चार्जशीट दाखिल कर सकती है। बहरहाल, सरकारी रवैया यही रहा और शासन-प्रशासन ने कमर कस ली है घूसखोरी, घोटाले-घपले और अन्य अपराधों पर शिकंजा कसने की तो इसे एक अच्छा कदम कहा जायेगा।