
देहरादून | उत्तराखंड में नशा मुक्ति केंद्रों में हुई कई गंभीर घटनाओं ने प्रशासन को झकझोर दिया। वर्षों तक बिना किसी स्पष्ट नियम और निगरानी के चलने वाले इन केंद्रों में मौत, प्रताड़ना और युवतियों के साथ दुष्कर्म जैसी गंभीर घटनाएं सामने आईं। इन घटनाओं के बाद ही राज्य सरकार ने नशा मुक्ति केंद्रों के लिए नियमावली बनाई और निगरानी सुनिश्चित करने के लिए प्राधिकरण स्थापित किया। देहरादून जिले में 40 से अधिक नशा मुक्ति केंद्र हैं। इनमें कई केंद्रों में युवकों और युवतियों के भाग जाने, मारपीट और अनुचित व्यवहार की घटनाएं लगातार सामने आती रही हैं। पुलिस जांच में यह भी पता चला कि कई केंद्रों में इलाज के बजाय युवाओं को प्रताड़ित कर नशा छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता था।
प्रशासन द्वारा किए गए औचक निरीक्षणों में डॉक्टरों की अनुपस्थिति और इलाज की कमी कई बार सामने आई। कुछ प्रमुख घटनाओं में मार्च 2023 में नया गांव स्थित केंद्र में सहारनपुर के युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, अप्रैल 2023 में पटेलनगर क्षेत्र में युवक की मौत और शव का घर के बाहर फेंका जाना, नवंबर 2022 में मांडूवाला में युवक द्वारा फांसी लगाना, अक्टूबर 2022 में वसंत विहार क्षेत्र से दस युवाओं का फरार होना, अगस्त 2022 में तपस्थली केंद्र से चार युवतियों का भाग जाना और दिसंबर 2021 में लाइफ केयर केंद्र में युवक की संदिग्ध मौत शामिल हैं।
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इन घटनाओं के बाद बनाए गए नियमों में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए हैं:
- कमरे में किसी को बंधक बनाकर नहीं रखा जा सकेगा।
- मरीजों को केवल चिकित्सीय परामर्श के आधार पर केंद्र में रखा जाएगा।
- डिस्चार्ज भी चिकित्सकीय परामर्श के आधार पर ही होगा।
- केंद्र में फीस, ठहरने और खाने का मेन्यू स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना होगा।
- केंद्र में मनोचिकित्सक और चिकित्सक नियुक्त होना आवश्यक है।
- रोगियों के लिए खुली जगह उपलब्ध होगी।
- मानसिक रोगी को परिजनों से बात करने के लिए फोन की सुविधा दी जाएगी।
- कमरे में बेड के बीच निर्धारित दूरी का पालन किया जाएगा।
ये नियम केंद्रों में पारदर्शिता और मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लागू किए गए हैं। प्रशासन का उद्देश्य है कि नशा मुक्ति केंद्र अब केवल उपचार का माध्यम बनें, न कि प्रताड़ना और जोखिम का स्रोत।





