जीवन्त संस्कृति का दिन ‘गणतंत्र दिवस’
सुनील कुमार माथुर
गणतंत्र दिवस देश की आन , बान व शान का प्रतीक हैं । चूंकि इस दिन 1950 में हमारा संविधान लागू हुआ था । उसी की याद में हम छब्बीस जनवरी का दिन गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते चले आ रहें है । यह संविधान पूरा 22 भागों में बंटा हुआ है । लोगों में देश भक्ति जगेगी तभी लोगों में मानवता जगेगी । अतः राष्ट्र भक्ति का प्रचार-प्रसार भी जरूरी हैं ।
इस दिन हर कोई देश भक्ति के रंग में रंगा दिखाई देता हैं । हमारे देश के संविधान के निर्माण में 2वर्ष 11 माह व 18 दिन का समय लगा । हमारा संविधान राष्ट्रीय एकता का संदेश देता हैं । इसलिए इसका आदर करना और इसकी अस्मिता को बचाये रखना हम सभी का दायित्व है ।
विविध पंथ और धर्म संस्कृतियों वालें देश में एकता और समानता का अधिकार हमारे संविधान की ताकत हैं । इस राष्ट्रीय पावन पर्व पर भेदभाव की भावना से ऊपर उठकर सामाजिक समरसता , सौहार्द, संवेदनशीलता एवं भाईचारे की भावना को आत्मसात करें व देश की तरक्क़ी में अपना हर संभव योगदान करने का संकल्प ले ।
हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा हैं । तिरंगे मेंबजातरंग हैं । केसरिया रंग त्याग व बलिदान का रंग हैं । जो सबसे ऊपर हैं नीचे हरा रंग हैं जो हमारी खुशहाली का रंग हैं व बीच में सफेद रंग हैं जो शांति का प्रतीक हैं । बीच में जो चक्र हैं वह निरन्तर प्रगति करते रहने का सूचक हैं ।
राजपथ पर देश की आन , बान व शान का प्रतीक तिरंगा झंडा फहराया जाता हैं तब तब जल , थल व नभ में बुलंद गणतंत्र का शौर्य राष्ट्रगान की धुन बजाती हैं । संयुक्त मिलिट्री बैंड राष्ट्रपति को इक्कीस तोपों की सलामी देता हैं एवं राष्ट्रपति महोदय तिरंगा झंडा फहराते हैं ।
इस दिन अद् भूत नजारे देखने को मिलते हैं । जीवन कला, संस्कृति की झांकियां के बेजोड नमूने , एवं हर राज्य का प्रतिनिधित्व देखने को मिलता हैं । इस दिन देश की स्मृद्ध संस्कृति की झलक देखने को मिलती हैं ये झांकियां दर्शाती है कि कर्म ही पूजा हैं । वही योगा करतें बच्चों की झलक भी देखने को मिलती हैं
गरबा डांस , नृत्य, मोटर साइकिल पर जवानों ध्दारा शानदार प्रदर्शन व करतब का शानदार प्रदर्शन देखने योग्य हैं जिसे देखकर हर कोई दर्शक दांतों तले अंगुलियां दबा लेता है । हेलीकाप्टर व विमानों के करतब एवं प्रदर्शन व तिरंगे बैलुन हवा में उडाये जाते है ।
शहीदो को नमन् हैं जिन्होंने देश को आजादी दिलाकर देश का गौरव बढाया । हमारा संविधान हमारे लिए सबसे बडा और पवित्र ग्रंथ है । एक ऐसा ग्रंथ जिसमें हमारे जीवन का , हमारे समाज का , हमारी परम्पराओं और मान्यताओं का समावेश हैं और नई चुनौतियों का समाधान भी ।
परेड व सांस्कृतिक कार्यक्रम दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं व उन्हें पूरे कार्यक्रम तक बांधे रखते हैं । सारे जहां से अच्छा यह हिन्दुस्तान हमारा जैसी धुने हमारे जवानों का हौसला बढाती हैं । इस दिन दिन भर देश भक्ति से ओतप्रोत गानें बजाये जातें है ।
ऊंट घोडो की आकर्षक सजावट देखने योग्य होती हैं सका िक स्कूल, एन सी सी के कैडिटो की सलामी कदम से कदम बढायें जायें की धुन के साथ ।
इस दिन महिला सशक्तिकरण को भी दर्शाया जाता हैं । एन सी सी का मार्चिग का दस्ता , शिल्प कला , लोक संस्कृति, लोक कला , देवी देवताओं, वैदिक वास्तुकला, पर्वों की झांकियां, जनजातीय धार्मिक उत्सव , कच्चे माल से तैयार की झांकी , बांस व बेत की बनाई गयी झांकी , स्थापत्य कला , आधुनिक तकनिक से संबंधित झांकी देखने योग्य होती हैं जो जीवन्त संस्कृति को दर्शाती है ।
हम अपने देश के सभी ज्ञात व अज्ञात सैनिकों को नमन् करते हैं कि हम भी उनके जीवन को आत्मसात कर देश को एक नई दशा व दिशा प्रदान करें व अमर शहीदों के सपनों के भारत का निर्माण करें ।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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