स्वच्छता में योगदान, कोरोना का समाधान
सुनील कुमार
स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है।यह एक बहुत पुरानी कहावत है, जो अक्षरस: सत्य भी है। सामान्यत: लोग शरीर की रोग मुक्त अवस्था को ही स्वस्थ होना मान लेते हैं, जो कि पूर्णता एक गलत धारणा है। क्योंकि स्वस्थ होने का मतलब है व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से स्वस्थ होना।
हम स्वस्थ तभी रह सकते हैं जब हम अपने दैनिक जीवन में उचित खान-पान के साथ- साथ स्वच्छता संबंधी नियमों का पालन करेंगे। स्वस्थ रहने के लिए न केवल व्यक्तिगत स्वच्छता बल्कि सामाजिक स्वच्छता पर भी ध्यान देना जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हमारे समाज में होने वाली 100 में से 90 बीमारियों का मूल कारण गंदगी ही है।
अतः जीवन में स्वच्छता संबंधी आदतों को अपनाना बहुत जरूरी है। जीवन में स्वच्छता संबंधी आदतों को अपनाकर हम बहुत सारी बीमारियों से बच सकते हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तो स्वच्छता को जीवन का मूल मंत्र मानते थे। और हमेशा लोगों को स्वच्छता अपनाने के लिए प्रेरित करते रहते थे। उन्होंने एक स्वच्छ भारत का सपना देखा था।
वह चाहते थे कि भारत के सभी नागरिक एक साथ मिलकर देश को स्वच्छ बनाने के लिए कार्य करें। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने के लिए हमारे देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया और इसके सफल क्रियान्वयन के लिए भारत के सभी नागरिकों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की।
माननीय नरेंद्र मोदी जी को यह बातअच्छी तरह से पता थी कि जिस दिन देश की संपूर्ण जनता अपने जीवन में स्वच्छता का मूल मंत्र अपना लेगी उसी दिन हमारा देश एक सुनहरे कल की ओर अग्रसर हो जाएगा। गांधी जी के स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने के लिए माननीय नरेंद्र मोदी जी समय-समय पर अपने उद्बोधनों द्वारा देश की जनता को उसके दायित्वों का बोध कराते रहते हैं।
उनकी इस अपील का भारतीय जनमानस पर अच्छा प्रभाव पड़ रहा है लोग स्वच्छता संबंधी कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं तथा भारत को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान भी दे रहे हैं। मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि आने वाले दिनों में गांधी जी के स्वच्छ भारत का सपना जरूर साकार होगा। अब हम बात करते हैं कोरोना वायरस संक्रमण और स्वच्छता के आपसी संबंधों की। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कोरोना वायरस का संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से होता है।
संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से इसका संक्रमण आस-पास के लोगों को होता है। यह वायरस सतह से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति या संक्रमित वस्तुओं को छूने से इसका संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कोरोना संक्रमण से बचाव का अभी तक कोई सटीक उपचार नहीं खोजा जा सका है। ऐसे में हमारी सतर्कता,स्वच्छता और सामाजिक दूरी अर्थात सामाजिक मेल मिलाप बंद रखना ही इसका समाधान है।
हम एकजुट और संकल्पबद्ध होकर इस कोरोना वायरस को पराजित कर सकते हैं।अतः हमें घर में रहकर ही अपने दैनिक क्रियाकलापों को अंजाम देना है।सामाजिक मेल- मिलाप से पूरी तरह बचना है। व्यक्तिगत व सामाजिक स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना है।खांसते-छींकते समय रुमाल का प्रयोग करना है। अभिवादन करते समय हाथ बिल्कुल नहीं मिलाना है। दिन भर में हाथों को कई बार साबुन से अच्छी तरह धुलना है। कपड़ों की नियमित सफाई करनी है।
जिन स्थानों पर साबुन पानी की उपलब्धता नहीं है वहां सैनिटाइजर का प्रयोग करना है।खांसी,बुखार या सांस लेने में तकलीफ होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना है।दैनिक खानपान में पौष्टिक आहार का सेवन करना है। उपरोक्त बातों को अमल में लाकर हम अपने परिवार, समाज और राष्ट्र को कोरोना संक्रमण से बचा सकते हैं। बस जरूरत है एक सकारात्मक पहल की।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमारलेखक एवं कविAddress »ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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