मदद के लिए आगे आयें
सुनील कुमार माथुर
सर्दी के मौसम ने हल्की दस्तक देकर अपने आने की सूचना दे दी । हमारे पास अल्मारियों और बक्सों में अनेक ऐसे गर्म कपडे पडे है जो हमारे काम नहीं आते हैं । चूंकि या तो वो छोटे हो गये है या फिर उनका रंग उड गया या उनका फैशन चला गया।
ऐसे गर्म कपडे बेकार में ही पडे है और हम उन्हें न तो किसी को देते है और न ही पहनते हैं । हर साल धूप में रखते है और फिर वापस अल्मारी या बक्सों में ठूस देते है और हमें भी पता नहीं कि हम ऐसा क्यों कर रहे हैं।
आइये इस बार मदद के लिए हाथ बढाये और इन अनुपयोगी गर्म कपडों को हम जरूरतमंदों में वितरण कर उन्हें ठंड से राहत दिलाए और अपने यहां भी अनावश्यक सामग्री कि भीड को कम करें । आपको बस इतना करना है कि वे कहीं से फटे हो तो ठीक करके समय रहते वितरण कर दीजिये।
आपका मदद का हाथ किसी जरूरतमंद को सर्दी से बचा सकता है । वहीं दूसरी ओर वो आपको ढेर सारी दुआएं देगा । फिर देर किस बात की । कहीं ऐसा न हो कि सर्दी आकर भी चली जायें और हम सोचते ही रह जायें ।कहने का तात्पर्य यह है कि शुभ कार्य में देरी क्यों।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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Nice
आपका आलेख पढ़ कर अच्छा लगा।
Nice article
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