साहित्य लहर
बाल साहित्य ‘साइकिल’
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
दो पहियों की गाड़ी प्यारी,
अद्भुत साइकिल की सवारी ।
होती सुविधा सब जन को,
तनिक न प्रदूषण फैलाती ।
जो नियमित इसे चलाते,
उत्तम स्वास्थ्य उनका बनाती ।।
दो पहियों की गाड़ी प्यारी,
साइकिल सफर में कभी न हारी ।
चाहे जाओ खेत, चाहे बाजार,
स्वयं बैठो और सामान भी लाओ ।
कसरत मुफ्त में हो जाती है,
पकड़ हैंडिल, पैड़ल खूब घुमाओ ।।
दो पहियों की गाड़ी प्यारी,
धो-पौंछकर रखते चाचा गिरधारी ।
भारी-भरकम वजन उठाती,
सहज ही हर घर में मिल जाती ।
सबसे सस्ती – सबसे अच्छी,
कच्ची-पक्की डगर पे चलती जाती ।।
दो पहियों की गाड़ी प्यारी,
अद्भुत साइकिल की सवारी।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »मुकेश कुमार ऋषि वर्मालेखक एवं कविAddress »ग्राम रिहावली, डाकघर तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, (उत्तर प्रदेश) | मो : 9876777233Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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