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मासूमों की जिंदगी लीलते बोरवेल के गड्ढे

ओम प्रकाश उनियाल

खेतों या घरों के आसपास बोरवेल के लिए गड्ढे खोदकर खुले छोड़ना एक बहुत बड़ी लापरवाही होती है। हर साल कहीं न कहीं ऐसी लापरवाही का खामियाजा मासूमों को भुगतना पड़ता है। अक्सर जहां भी बोरवेल के गड्ढे खोदे जाते हैं खुदाई करने वाली संस्था व ठेकेदार पैसे बचाने के चक्कर में इस प्रकार की लापरवाही बरतते हैं। संस्था व ठेकेदार के अलावा खुदाई करवाने वाला मालिक भी थोड़े-से लालच के लिए लापरवाही कर बैठता है।

जहां भी बोरवल की खुदाई की जाती है वहां काम पूरा होने के बाद गड्ढों को भरा नहीं जाता। ना ही किसी प्रकार से मजबूती से ढका जाता है। ना तो चारों तरफ बाढ़ लगायी जाती है ना ही किसी प्रकार के संकेतक। यह भी देखा गया है कि कई जगह खुदाई करवाने वाला ठेकेदार पंजीकृत तक नहीं होता। ऐसी ही लापरवाही बरतने के कारण हादसे होते हैं।

ऐसी लापरवाही के चलते आज तक कितने मासूमों की जिंदगी लील चुके हैं बोरवेल के गड्ढे। ताजा घटना छतीसगढ़ के जांजगीर जिले के पिहरीद गांव की है। 10 साल का बच्चा खेलते हुए घर के पीछे खोेदे गए लगभग 80 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया। जिसको बचाने के लिए रेस्क्यू जारी है। यह पहली घटना नहीं है। हर साल इस प्रकार की घटती आ रही हैं।

बच्चे अनभिज्ञ तो होते ही हैं उन्हें यह पता नहीं होता कि कहां इस प्रकार का खतरा है। खेलते हुए ही ऐसी नौबत आती है। माता-पिता को भी बच्चों का ध्यान रखना चाहिए। ऐसी जगहों पर न जाने दें। कम से कम यह ध्यान तो रखना ही चाहिए कि आसपास गड्ढा खुदा हुआ है और बच्चा नजदीक ही खेल रहा है तो निगाह रखने की जिम्मेदारी तो माता-पिता या परिजनों की भी बनती है।

सर्वोच्च न्यायालय ने नलकूप खुदाई के लिए जो नियमावली बनायी हुई है उसका अनुपालन कोई नहीं करता। सुप्रीम कोर्ट ने बोरवेल खनन के समय इस प्रकार की घटनाओं से बच्चों को बचाने के लिए 6 अगस्त 2010 में एक आदेश भी पारित किया था। लेकिन नियमावली ताक पर रख दी जाती है। घटनाएं घटती हैं, चंद रोज बाद भुला दी जाती हैं।

बात बोरवेल के गड्ढों पर ही खत्म नहीं हो जाती। कई अन्य स्थानों पर भी अनावश्यक गड्ढे खुदे हुए नजर आते हैं। जो कि जंगली जीवों व इंसानों के लिए खतरनाक साबित होते हैं। सड़कों पर खोदे गए गड्ढे भी किसी की जान पर भारी पड़ सकते हैं। कुएं जो ढके नहीं होते उनमें में भी यह खतरा बना रहता है।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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ओम प्रकाश उनियाल

लेखक एवं स्वतंत्र पत्रकार

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देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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