बापू का जीवन संदेश और हमारा वर्तमान समाज

राजीव कुमार झा

महात्मा गांधी को भारत का राष्ट्रपिता कहा जाता है और उनके नेतृत्व में हमने सत्य और अहिंसा के सहारे आजादी हासिल की . वह युग निर्माता थे और अछूतोद्धार और नारी जागृति के माध्यम से उन्होंने भारत को संगठित किया.सारे देश में हिंदी प्रचार प्रसार और स्वदेशी के विचारों से गांधी जी ने नये भारत की नींव रखी.

हिंदू मुस्लिम एकता के लिए गांधीजी अंतत:शहीद हो गए. महात्मा गांधी सहिष्णुता और सद्विचारों की प्रतिमूर्ति थे और उनके हृदय में सबके लिए प्रेम रहता था.जिन्ना की करतूतों और देश विभाजन की त्रासदी से गुजरने के बावजूद गांधी जी ने सन् 1947 में भारत की आजादी के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में भड़के दंगों के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द्र को कायम करने में प्रमुख भूमिका निभाई और सबको भाईचारा का संदेश दिया.

महात्मा गांधी के इन विचारों की प्रासंगिकता को आज फिर से हृदयंगम करने की जरूरत है.वह विश्वमानव थे और आत्मा की सच्चाई में उनका गहरा विश्वास था . मनुष्य जीवन को वह सामाजिक धरातल पर गहरी नैतिकता का पर्याय मानते थे और देशसेवा के महान व्रत का निर्वहन उन्होंने अत्यंत साहस से किया था. आज सारे देशवासियों को उनके कार्यों और विचारों पर गौर करना चाहिए.

हमारे देश के संविधान पर महात्मा गांधी के विचारों का गहरा प्रभाव है लेकिन इसके बावजूद व्यवहारगत धरातल पर उनकी अपेक्षाओं से
हमारे समाज की आज व्यापक दूरी बनती दिखाई दे रही है. सारे देश में भ्रष्टाचार का दानव अपना पैर पसारता अट्टहास कर रहा है. समाज में सर्वत्र स्वार्थपरता और असहिष्णुता की भावना फैलती जा रही है और नारी उत्पीड़न की बढ़ती प्रवृत्ति से सारा समाज आक्रांत होता जा रहा है.

गांधी जी और उनके विचार इन परिस्थितियों में सदैव हमें सद्मार्ग पर अग्रसर करते हैं.गांधीजी विश्व संस्कृति को मानवता की विरासत
मानते थे और उन्होंने इसमें सत्य अहिंसा और शांति से नयी जीवन शक्ति का संचार किया .आज गांधी जयंती के अवसर पर हमें उनका स्मरण करते हुए इस बात का विशेष रूप से ख्याल करना होगा कि उनकी जयंती सिर्फ कोई औपचारिक आयोजन नहीं हो बल्कि इस दिन हमसब समाज और देशसेवा का सच्चा संकल्प आपस में मिलजुल कर करें और जीवन की तमाम बुराईयों से खुद को दूर रखें.

गांधी जी ने मद्यनिषेध का भी संदेश दिया और वेश्यावृत्ति के उन्मूलन के लिए भी कार्य किया लेकिन इन बुराईयों की चपेट में आज सारा समाज नये सिरे से घिरा दिखाई दे रहा है.वह पश्चिम की वर्तमान भौतिकवादी संस्कृति के कटु आलोचक थे और लूटखसोट पर आधारित तत्कालीन साम्राज्य वादी विश्व व्यवस्था को उन्होंने चुनौती दी थी .भारत की आजादी की लड़ाई में भाग लेने से पहले उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया था.


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

राजीव कुमार झा

कवि एवं लेखक

Address »
इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights