बच्चे पौंधे के समान

सुनील कुमार माथुर
बच्चे पौधे के समान होते हैं । जैसे पौधे के जीवन के लिए उसे समय पर पानी , खाद , मिट्टी , हवा व धूप चाहिए ठीक उसी प्रकार बच्चों को जीवन में लाड-दुलार, प्यार-स्नेह, प्रेम, वात्सल्य, आदर्श संस्कार व परिवारजनों का स्नेह चाहिए । इसके बिना वह आदर्श जीवन व्यतीत नही कर सकता
बिना प्रेम के उसका जीवन बंजर भूमि की तरह बन जायेगा । आपका प्रेम व स्नेह ही उसे जीवन में आगे बढने के लिए प्रोत्साहित करता है। अन्यथा वह प्रेम के अभाव में अपनी ममता से वंचित हो जायेगा । ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार जैसे खाद , पानी , हवा , धूप के पौधा मुरझा कर सूख जाता है।
अतः बच्चों के साथ कभी भी सौतेला व्यवहार न करे चाहें वह लडका हो या लडकी । चूंकि वे तो आपके आंगन की बगियां के फूल है । उनके बिना घर सूना सूना लगता है । वे तो बस आपके सही मार्गदर्शन व प्रेम व स्नेह से ही खिलते है और अपनी महक को फैलाते है । अतः बच्चों की परवरिश सही ढंग से करें व उन्हें देश का आदर्श व होनहार नागरिक बनाये ।
जैसे ईश्वर अपने भक्तों के भाव के भूखे होते है ठीक उसी प्रकार बच्चे अपने माता – पिता व परिवारजनों के प्यार व स्नेह के भूखे होते है । जिसके अभाव में उनका सुनहरा जीवन बर्बाद होते देर नहीं लगती है मगर जरूरत से अधिक लाड प्यार भी बच्चों को बिगाड देता है । अतः उनके नेक कार्य पर उनके कार्य की सराहना अवश्य करें।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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