साहित्य लहर

स्वार्थ के सब मीत यहां

सुनील कुमार

स्वार्थ के सब मीत यहां स्वार्थ के रिश्ते-नाते हैं
स्वार्थ सिद्ध होते ही यहां एहसास बदल जाते हैं।

स्वार्थ के वश ही यहां रिश्ते-नाते जोड़े जाते हैं
स्वार्थ के तराजू में अब यहां रिश्ते तौले जाते हैं।

सुख में सब साथ यहां दुख में न साथ निभाते हैं
स्वार्थ सिद्ध हो जाए तो पलकों पर बैठाते हैं।

स्वार्थ ने ही बांध रखा है यहां रिश्ते-नातों को
वरना दो पग साथ चलकर इंसान बदल जाते हैं

वक्त हो खास अगर सब पास नजर आते हैं
वक्त हो आम अगर दामन छुड़ाकर जाते हैं।

इस मतलबी दुनिया में सब स्वार्थ सिद्ध करते हैं
स्वार्थ सिद्ध होते ही अपनी राह बदल लेते हैं।

वक्त पड़े तो लोग यहां गधे को बाप बनाते हैं
न हो कोई काम अगर नजर बचाकर जाते हैं।

लोग कहते हैं दुनिया स्नेह-अनुराग से चलती है
आजमाया तो पाया दुनिया स्वार्थ से चलती है।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार

लेखक एवं कवि

Address »
ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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