
- अल्मोड़ा में पिरूल आधारित प्रशिक्षण से महिलाओं को मिला नया रोजगार
- वन संरक्षण और आजीविका का संगम: महिलाएं बनाएंगी पिरूल से आकर्षक उत्पाद
- ग्रीन इंडिया मिशन का प्रभाव: पिरूल से बने सामानों से महिलाओं में आत्मनिर्भरता की नई उम्मीद
- नगुणगाड की महिलाओं ने सीखा पिरूल कला, अब घर-घर से जुड़ेगा स्वरोजगार
अल्मोड़ा | ग्रीन इंडिया मिशन के तहत अल्मोड़ा जनपद के नगुणगाड क्षेत्र की महिलाओं के लिए आजीविका का एक नया और सशक्त अवसर तैयार हुआ है। यहां की कई महिलाएं पिरूल (चीड़ की पत्तियों) से सजावटी और उपयोगी उत्पाद बनाना सीख रही हैं। यह प्रशिक्षण न केवल उन्हें स्वरोजगार से जोड़ रहा है, बल्कि जंगलों में पिरूल की अधिकता से होने वाली आग की समस्या को भी कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। स्थानीय महिला समूहों की बड़ी संख्या इस पहल से जुड़ चुकी है। प्रशिक्षण में शामिल महिलाएं पिरूल से खूबसूरत गुलदस्ते, टोकरियां, राखियां, सजावटी बैग और कई प्रकार के आकर्षक शिल्प उत्पाद तैयार करना सीख रही हैं। इन उत्पादों की बाजार में अच्छी मांग है, जिससे उन्हें भविष्य में स्थायी आय का स्रोत मिलने की पूरी संभावना है।
इस प्रशिक्षण का नेतृत्व द्याराहाट की पिरूल वुमेन समूह की मेंटर मंजू आर. साह कर रही हैं, जो पिछले कई वर्षों से पिरूल आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत हैं। मंजू ने बताया कि पिरूल को अक्सर जंगल की आग का कारण माना जाता है, लेकिन यदि इसे संसाधन के रूप में उपयोग किया जाए तो यह महिलाओं की आजीविका का बड़ा साधन बन सकता है। उनका कहना है कि प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और पिरूल को वन सुरक्षा के लिए उपयोगी साधन में बदलना है। पिरूल की पत्तियां जंगलों में अधिक मात्रा में गिरती हैं, जिससे आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। यदि महिलाएं पिरूल को इकट्ठा कर उसका उपयोग उत्पाद बनाने में करें, तो इससे जंगलों में आग की घटनाएं कम होंगी।
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साथ ही यह पहल पर्यावरण संरक्षण, वन प्रबंधन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। प्रशिक्षण में शामिल महिलाएं इस पहल को लेकर बेहद उत्साहित दिखाई दीं। उनका कहना है कि यह प्रशिक्षण उनके लिए सिर्फ कला सीखने तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और वे नई पहचान बना सकेंगी। ग्रीन इंडिया मिशन द्वारा संचालित यह कार्यक्रम क्षेत्र की महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरणादायक पहल बन गया है। उम्मीद है कि आने वाले समय में पिरूल से बने उत्पादों का व्यापारिक विस्तार होगा और यह प्रयास पूरे जिले में महिला सशक्तिकरण का मॉडल बनकर उभरेगा।
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