
देहरादून। बांग्लादेशी नागरिक की गिरफ्तारी के बाद राजधानी देहरादून में बार और क्लबों में तैनात बाउंसरों और निजी सुरक्षा एजेंसियों पर पुलिस की सख्त नजर रखी जा रही है। शहर में दो साल से बाउंसर के रूप में काम कर रहे बांग्लादेशी नागरिक ममून हसन को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रहने और काम करने के आरोप में पकड़ा गया। इस घटना ने यह उजागर किया कि निजी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा बार, क्लब और अन्य प्रतिष्ठानों में तैनात बाउंसरों का पृष्ठभूमि सत्यापन पर्याप्त रूप से नहीं किया जा रहा।
सूत्रों के अनुसार, ममून हसन के पास पूरी तरह से फर्जी पहचान पत्र थे और उसके काम करने के दौरान क्लब प्रबंधन या एजेंसियों के पास उसकी पृष्ठभूमि की कोई वैध जानकारी उपलब्ध नहीं थी। घटना के बाद पुलिस ने बार और क्लबों में तैनात बाउंसरों की पहचान और पृष्ठभूमि की जांच शुरू कर दी है। सुरक्षा एजेंसियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने कर्मचारियों के सत्यापन में किसी भी तरह की लापरवाही न करें और नियमों का पालन सुनिश्चित करें। नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।
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देहरादून में बार और क्लबों में बाउंसरों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अक्सर शराब पीकर होने वाली झड़पों और मारपीट को रोकने के लिए इन बाउंसरों को रखा जाता है। लेकिन चयन प्रक्रिया में केवल शारीरिक क्षमता को देखा जाता है और पृष्ठभूमि या आपराधिक इतिहास की जांच नहीं की जाती। इससे सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर जोखिम पैदा होता है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि कई बाउंसरों का सत्यापन अब तक किया ही नहीं गया था, जिससे ऐसे मामलों में खामियां सामने आती हैं।
ममून हसन के मामले में पता चला कि उसे दो साल पहले देहरादून लाया गया था, जहां एक महिला रीना चौहान ने उसे हिंदी भाषा और देहरादून की सामाजिक परिस्थितियों के अनुसार ढालने का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद उसने क्लब में बाउंसर के रूप में आवेदन किया और क्लब प्रबंधन ने केवल उसकी शारीरिक हुस्ट-पुस्ट और दस्तावेजों को देखकर नौकरी पर रख लिया। यदि उस समय उसका सही सत्यापन किया जाता तो उसकी पहचान और गतिविधियाँ जल्दी पकड़ में आ सकती थीं।
पुलिस अब यह भी पता लगा रही है कि हसन के रीना से विवाह और देहरादून में रहने के पीछे उद्देश्य क्या था। साथ ही, आरोपी के संभावित आपराधिक इतिहास और अवैध गतिविधियों में संलिप्तता की जानकारी भी जुटाई जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी (रेगुलेशन) एक्ट (PSSRA) के तहत भारत में निजी सुरक्षा सेवाएं जैसे कि सुरक्षा गार्ड, बाउंसर और बाडीगार्ड प्रदान करने वाली एजेंसियों को लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है। यह लाइसेंस यह सुनिश्चित करता है कि एजेंसियाँ नियमों का पालन कर रही हैं और उनके कर्मचारी प्रशिक्षित हैं। हालांकि, बाउंसरों के लिए विशेष नियम नहीं हैं, जिससे इस वर्ग में निगरानी की कमी रहती है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने स्पष्ट किया कि बांग्लादेशी नागरिक की गिरफ्तारी के बाद अब बार-क्लबों में तैनात बाउंसरों के बारे में पूरी जानकारी जुटाई जा रही है। निजी सुरक्षा एजेंसियों को कानून के तहत ही कार्य करने का निर्देश दिया गया है। यदि किसी एजेंसी द्वारा नियमों का उल्लंघन पाया गया, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले ने यह संकेत दिया है कि निजी सुरक्षा क्षेत्र में पर्याप्त निगरानी और पृष्ठभूमि जांच की कमी सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरा बन सकती है। पुलिस और प्रशासन अब इस दिशा में सख्त कदम उठा रहे हैं ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाहियों को रोका जा सके।





