
देहरादून। विदेशों में बेहतर नौकरी दिलाने का झांसा देकर उत्तराखंड और देश के कई राज्यों के युवाओं को मानव तस्करी के जरिए दक्षिण-पूर्व एशिया भेजने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह का बड़ा खुलासा हुआ है। एसटीएफ ने इस गिरोह से जुड़े जसपुर निवासी एजेंट सुनील को गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई उस समय तेज हुई जब केंद्र सरकार के सहयोग से उत्तराखंड के लगभग 21 युवाओं समेत देश के विभिन्न राज्यों के युवकों को म्यांमार (बर्मा) के मायावड्डी स्थित कुख्यात केके पार्क से रेस्क्यू कर भारत लाया गया। जांच में सामने आया कि इन युवाओं को राज्य में सक्रिय एजेंटों के माध्यम से फंसाकर विदेश भेजा गया था, जहां उन्हें बंधक बनाकर साइबर अपराध कराने के लिए मजबूर किया जाता था।
गिरफ्तार एजेंट सुनील पर आरोप है कि उसने जसपुर के युवक मोहम्मद आज़म को बेहतर वेतन और उज्जवल भविष्य का लालच देकर धोखे से दिल्ली से बैंकॉक भिजवाया। बैंकॉक पहुंचने के बाद एक अन्य व्यक्ति के माध्यम से आज़म और अन्य युवकों को नदी और जंगल के रास्ते अवैध रूप से म्यांमार ले जाया गया, जहां साइबर अपराधियों के अड्डों पर उन्हें कैद करके जबरन ऑनलाइन फ्रॉड और कॉलिंग के काम में लगाया गया। युवक को 70 हजार रुपये मासिक वेतन और सुविधाओं का वायदा किया गया था, मगर वहां पहुंचते ही उसे साइबर गुलाम बना दिया गया।
मामले की शुरुआत मोहम्मद आज़म द्वारा अपने पिता को फोन पर सुनाई गई दर्दनाक आपबीती से हुई। जब आज़म के पिता ने एजेंट सुनील से संपर्क किया तो आरोप है कि उसने युवक को वापस बुलाने के लिए चार लाख रुपये की मांग रखी। इसी बीच 22 अक्टूबर को आज़म किसी तरह से साइबर अपराधियों के चंगुल से भाग निकला और बॉर्डर पर पहुंचकर सेना के जवानों को अपनी स्थिति बताई। सेना के अधिकारियों ने तुरंत भारतीय दूतावास से संपर्क किया, जिसके बाद आज़म सहित कई युवकों का रेस्क्यू कराया गया।
एसटीएफ ने आज़म और अन्य स्रोतों से मिली सूचनाओं के आधार पर सुनील को गिरफ्तार किया और उसके अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की जांच शुरू कर दी है। विदेशी साइबर गिरोहों से उसके संपर्क, पैसों के लेनदेन और इससे जुड़े अन्य एजेंटों की भूमिका की जांच तेज कर दी गई है। जांच एजेंसियों के अनुसार दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय युवाओं को नौकरी के नाम पर फंसाने और साइबर अपराधों में धकेलने का बड़ा सिंडिकेट सक्रिय है, जो लगातार युवाओं को निशाना बना रहा है। इस पूरे जाल का पर्दाफाश होना इस बात का संकेत है कि साइबर अपराध का यह नेटवर्क काफी गहराई तक फैला हुआ है और इसके जरिए देश में भारी पैमाने पर ऑनलाइन ठगी को अंजाम दिया जा रहा है।





