
लखीमपुर खीरी | भीरा क्षेत्र के नौसर जोगी गांव निवासी विपिन गुप्ता ने अपनी पत्नी रूबी (27) को बुधवार रात प्रसव पीड़ा बढ़ने पर बिजुआ पीएचसी में भर्ती कराया। वहां डॉक्टरों ने स्थिति गंभीर बताकर जिला अस्पताल रेफर कर दिया। इसी बीच गांव की आशा कार्यकर्ता दीपा ने परिजनों को सलाह दी कि वे रूबी को महेवागंज स्थित गोलदार हॉस्पिटल में भर्ती कराएं। रात करीब ढाई बजे रूबी को वहां भर्ती कराया गया। पीड़ित विपिन के अनुसार, अस्पताल पहुंचते ही डॉ. हुकूमा गुप्ता और डॉ. मनीष गुप्ता ने 25 हजार रुपये जमा करने की मांग की। लेकिन उस समय उसके पास केवल 5 हजार रुपये थे। उसने उतने ही दिए और इलाज शुरू हुआ। इलाज के दौरान रूबी की तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई। गुरुवार दोपहर स्थिति गंभीर होते ही अस्पताल की एक नर्स ने कथित रूप से रूबी को जबरन अस्पताल से बाहर कर दिया।
परिजन रूबी को लेकर दूसरे निजी अस्पताल पहुंचे तो वहां डॉक्टरों ने बताया कि गलत दवा और लापरवाही के कारण शिशु की पेट में ही मौत हो चुकी है। बाद में ऑपरेशन कर मृत शिशु को बाहर निकाला गया। यह खबर सुनकर पिता विपिन टूट गया। शुक्रवार दोपहर वह अपने मासूम के शव को थैले में रखकर सीधे डीएम दफ्तर पहुंच गया। शुक्रवार दोपहर 12 बजे विपिन जब थैला लेकर डीएम कार्यालय में चल रही बैठक में घुसा तो वहां मौजूद अफसरों के भी होश उड़ गए। बैठक में सीडीओ अभिषेक कुमार और सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता भी मौजूद थे। थैले में शव देखकर सभी अधिकारियों की आंखें भर आईं। विपिन बिलखते हुए बस एक ही बात दोहराता रहा – “साहब! किसी तरह मेरे बच्चे को जिंदा कर दो… इसकी मां को क्या जवाब दूंगा?”
पीड़ित की व्यथा सुनकर अफसर तुरंत हरकत में आ गए। सीएमओ और एसडीएम सदर अश्विनी कुमार सिंह तुरंत टीम के साथ महेवागंज पहुंचे। गोलदार हॉस्पिटल को सील कर दिया गया। अस्पताल में भर्ती तीन मरीजों को सुरक्षित जिला महिला अस्पताल शिफ्ट किया गया। अस्पताल स्टाफ से पूछताछ की गई और आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए। जिला अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने खुद मामले को संज्ञान में लिया। उन्होंने रूबी का बेहतर इलाज सुनिश्चित कराने और पूरा खर्च वहन करने का आश्वासन दिया। एडीएम न्यायिक अनिल कुमार रस्तोगी को टीम सहित अस्पताल भेजकर रूबी के स्वास्थ्य की जानकारी ली गई। डीएम ने परिजनों को भरोसा दिलाया कि जिला प्रशासन पूरी तरह से उनके साथ खड़ा है।
विपिन गुप्ता का पहले से एक सात वर्षीय बेटा है। दूसरी संतान के आने से परिवार में खुशियां लौटने वाली थीं, लेकिन अस्पताल की लापरवाही ने इन खुशियों को मातम में बदल दिया। विपिन का कहना है कि उसे धोखे में रखकर पत्नी को गलत दवा दी गई और पैसे की लालच में इलाज बीच में रोक दिया गया। गोलदार हॉस्पिटल के संचालक डॉ. मनीष कुमार ने कहा, “ऑपरेशन हमारे अस्पताल में हुआ ही नहीं। मरीज में खून की कमी थी। प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई की है। सीसीटीवी फुटेज से सच्चाई सामने आ जाएगी। विभाग लंबे समय से किसी भी अस्पताल का पंजीकरण नवीनीकरण नहीं कर रहा है, इसलिए हमारा भी नवीनीकरण नहीं हुआ।”
सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता ने कहा – “अस्पताल को फिलहाल पंजीकरण नवीनीकरण न कराने और गंभीर लापरवाही के आधार पर सील किया गया है। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। अवैध अस्पतालों और बिना पंजीकरण चल रहे संस्थानों पर जल्द ही विशेष अभियान चलाकर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”