
राजेश ध्यानी ‘सागर’
पागल
जानें दो यार
ये अपनी धुन मे संवार।
कुछ भी कहें
पागल जो हैं।
अपने दिल से ,
पूंछ यार
किसकी चोंट का
शिकार हुआं
हंसता खेंलता ये
क्यूं पागल हुआं।
क्या दुनिया की
गलती थी ,
या मेरा शिकार हुआं।
रहम तो करना पड़ेगा
पागल जो बना दिया
इसकी हरकतों को
सहना तो पड़ेगा।
पागल
पुकार कर देखूं
ये तो हंसने लगा
आंखों मे आंसू लिये
इशांरा करने लगा।
पागल कहने वालों
तुम्हें पता नहीं
मेर प्यार का रगं
तुझपें
निखरने लगा
¤ प्रकाशन परिचय ¤
![]() | From »राजेश ध्यानी “सागर”वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं लेखकAddress »144, लूनिया मोहल्ला, देहरादून (उत्तराखण्ड) | सचलभाष एवं व्हाट्सअप : 9837734449Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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