रेप के बाद प्रेग्नेंट हो गई थी 12 साल की मासूम
नई दिल्ली। आपने जुर्म की न जाने कैसी-कैसी वारदातें सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपको जो कहानी सुनाने जा रहे हैं, वो आपको हैरान भी करेगी और आपका दिल भी पसीज जाएगा. एक लडकी के साथ महज 12 साल की उम्र में दो भाई रेप करते हैं. इसी ज्यादती के चलते ही वो लड़की मां बन जाती है.
इसके बाद एक-एक कर दर्द और तकलीफ में डूबी उसकी जिंदगी के 28 साल गुजर जाते हैं और फिर जब उसके बेटे को अपनी मां की ये कहानी पता चलती है, तो वो जवान बेटा अपनी मां को इंसाफ दिलाने निकल पड़ता है. नाइंसाफी और इंसाफ की ये कहानी वाकई सोचने पर मजबूर करती है. महज 12 साल की उम्र में उसके साथ ज़्यादती हुई. दो सगे भाइयों ने उस छोटी सी बच्ची के साथ रेप किया. इस वारदात ने नन्हीं उम्र में ही उस मासूम के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी डाल दी. इसके बाद तकरीबन 26 सालों तक वो अपने बच्चे से अलग रही. लेकिन अब 28 साल बाद वक्त का पहिया घूम चुका है. अब 28 साल बाद वो अपने जवान बेटे के साथ मिलकर इंसाफ मांग रही है.
जुर्म की कुछ कहानियां ऐसी होती हैं, जिस पर यकीन करना भी मुश्किल होता है. फिर ये कहानी तो बेइंतहा दर्द में लिपटी है. एक ऐसी कहानी जिसमें दो दरिदों ने एक नन्हीं सी बच्ची को उसके होश संभालने से पहले ही कुचल डाला. किसी भी इंसान के लिए 12 साल की उम्र भला होती ही क्या है? इस उम्र तक तो इंसान को अपने अच्छे-बुरे तक का ख्याल नहीं होता. लेकिन इसी उम्र में उसके साथ दो दरिंदों ने ज़्यादती की. दोनों आपस में सगे भाई थे. दोनों ने उससे रेप किया और उसके जिस्म के साथ-साथ मानों उसकी आत्मा तक को छलनी कर डाला.
लेकिन बाद इससे भी आगे तब बढ़ गई, जब खुद बच्ची के घरवालों और समाज ने भी उसके जख्मों पर मरहम रखने और गुनहगारों को सजा दिलाने की जगह उल्टा उसी बच्ची को लोक-लाज का हवाला देकर सबकुछ भूल जाने की नसीहत देनी शुरू कर दी. वो बच्ची पूरे 28 सालों तक अपनी आत्मा पर लगे एक-एक जख्म को सिल कर दिन काटती रही. लेकिन कहते हैं ना कि इंसान को अपने किए की सज़ा इसी जिंदगी में भोगनी पडती है. तो जिन लोगों ने इस बच्ची के साथ 28 साल पहले ज्यादती की थी, अब उनके काले अतीत ने उनके गुनाहों का हिसाब करना शुरू कर दिया है. कानून उन दोनों दरिंदों को उनके किए की सज़ा देने जा रहा है.
इस कचोटनेवाली कहानी की शुरुआत होती है 1994 से. जब उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहनेवाली ये बच्ची अपनी दीदी और बहनोई के घर रहने के लिए गई थी. दीदी स्कूल टीचर थीं और बहनोई भी सरकारी नौकरी में थे. लेकिन जैसे ही दोनों अपने-अपने काम के सिलसिले में घर से बाहर निकलते, उनके घर के करीब रहनेवाले दो सगे भाई उनके घर में घुस आते और उस छोटी सी बच्ची के साथ रेप करते.
कहने की जरूरत नहीं है कि इस अजीब, अप्रत्याशित और घिनौनी वारदात ने 12 साल की उस बच्ची को उन्हीं दिनों मानों जीते-जी मार डाला था. लेकिन इस उम्र में ये रेप भी जैसे काफी नहीं था. बच्ची के साथ बलात्कार करनेवाले दोनों भाइयों ने अब उस बच्ची को मुंह खोलने पर उसकी बहन और बहनोई को जान से मारने की धमकी देनी शुरू कर दी और फिर तो ये सिलसिला कई दिनों तक यूं ही चलता रहा और वो मासूम रेप का शिकार होती रही.
हालत ये हुई कि बच्ची रेप की वजह से ही प्रेगनेंट हो गई. जब घरवालों के सामने ये राज खुला तो घरवालों ने इस अन्याय का प्रतिकार करने की जगह उल्टा उस मासूम को ही चुप रहने की सलाह दी और बलात्कार से पैदा हुए बच्ची के बच्चे को किसी रिश्तेदार के हवाले कर उसे सबकुछ भूल जाने की सलाह दे दी. वक्त गुजरा. दिल के जख्म जस के तस रहे, लेकिन परिवार ने खुद को सबकुछ भूल जाने का धोखा देते हुए साल 2000 में उसकी शादी करवा दी. कुछ सालों तक सबकुछ ठीक रहा. घर गृहस्थी भी ठीक चलती रही.
उधर, उस मासूम का बेटा अपने रिश्तेदार के घर पलने लगा. बड़ा होने लगा. मगर, ऐसी कहानियां कहां छिपती हैं? एक रोज़ उस बच्चे को भी अपनी जिंदगी की हकीकत पता चल गई और लड़की के पति को भी. अब समाज ने बेटे से और बेटे ने अपनी मां से अपने पिता को लेकर सवाल पूछना शुरू कर दिया. जब तक वो छोटा था, तब तक तो ये मां किसी तरह उसे चुप कराती रही. लेकिन जैसे-जैसे वो बड़ा होने लगा, इस मां के पास अपने ही बेटे के इन सवालों का कोई जवाब नहीं था.
लेकिन अब महिला बन चुकी उस लड़की पर मानों तकदीर का और सितम बाकी था. हुआ यूं कि जैसे ही उसके पति को अपनी बीवी के अतीत की ये कहानी पता चली, तो उसने इस महिला को फौरन उसे घर से निकाल दिया. अब तक उसे इस शादी से एक बेटा भी था. एक बार फिर वो इस भरी दुनिया में शादी से पैदा हुए अपने नन्हें से बेटे के साथ अकेली पड गई. लेकिन अब उसका बडा बेटा अपनी मां को उसके साथ हुई ज्यादती का इंसाफ दिलाने उसके साथ आकर खड़ा हो चुका था.
बेटे ने मां से उसके गुनहगारों को सजा दिलाने के लिए लडाई लडने की बात कही और इस लडाई में उसका साथ देने का वादा भी किया और तब ये कहानी पूरे 28 साल बाद कानून की चौखट पर पहुंची. और इस तरह पूरे 28 साल बाद कानून ने अपना काम करना शुरू किया. यूं तो जुर्म के सबूत चंद मिनटों में ही मिट जाते हैं और इस मामले में तो इंसाफ की लड़ाई शुरू होने में ही तकरीबन 28 साल लग गए. लेकिन इसके बावजूद कुछ ऐसा हुआ कि ना सिर्फ सबूत मिल गया, बल्कि 12 साल की एक मासूम बच्ची के गुनहगारों के हिसाब की घडी भी आ गई. लेकिन आखिर कैसे हुआ ये सबकुछ? कहानी का ये पहलू भी किसी करिश्मे से कम नहीं.
ये एक बेटे का हौसला था, जिसने बचपन में ही बिखर चुकी एक लड़की को फिर से उठ कर खडे होने का हौसला दिया. अब महिला ने अपनी लड़ाई लड़ने के लिए एक वकील से बात की. सच्चाई तो ये है कि उसकी दर्द भरी कहानी सुनकर वकील का हौसला पहले ही डगमगा गया था. उसने पूछना शुरू किया कि वो इंसाफ के लिए इतने सालों के बाद सामने आई है. अब इतने दिनों के बाद वो सबूत कहां से लाएगी, अदालत में जुर्म कैसे साबित होगा. वगैरह-वगैरह.
लेकिन जब इरादे चट्टानी हो तो फिर भला कोई भी ताकत किसी को क्या डिगा सकती है. आख़िरकार महिला ने अपने वकील की मदद से अदालत में इंसाफ की गुहार लगाई और अदालत के आदेश पर ही 4 मार्च 2021 को उसके गुनहगार दोनों भाइयों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई. और जैसा कि आम तौर पर होता है, दोनों ही गुनहगारों ने खुद को बेगुनाह बताना शुरू कर दिया.
आखिरकार इस कहानी में अब साइंस यानी विज्ञान की एंट्री हुई. रेप की बात साबित करने के साथ-साथ महिला के बेटे के असली पिता का पता करने के लिए अदालत ने दोनों आरोपियों के डीएनए जांच का हुक्म दिया. इस मामले के दोनों आरोपियों के डीएनए सैंपल लिए गए और सच्चाई सामने आ गई. बड़े भाई यानी रेप के मुल्जिम नंबर वन नकी हसन उर्फ ब्लडी का डीएनए इस महिला के बेटे से मैच कर गया. यानी अदालत के फैसले से पहले ही ये बात तकरीबन साबित हो गई कि इस महिला ने अब से कोई 27 साल पहले जिस बच्चे को जन्म दिया था, उसका बाप नकी हसन ही है. जिसने तब इस महिला के साथ ज़्यादती की थी.
चूंकि इस मामले में नकी हसन के साथ-साथ उसके छोटे भाई रजी हसन पर भी इल्जाम है, पुलिस ने दोनों की गिरफ्तारी के लिए दबिश देनी शुरू कर दी. लेकिन सितम देखिए कि इतना होने के बावजूद पुलिस अब तक रजी हसन को ही पकड़ सकी है, जबकि रेप का मुल्जिम नंबर वन नकी हसन फिलहाल फरार है. ज़ाहिर है इस महिला की कहानी बेइंतहा दर्द और तकलीफ से भरी हुई सही, लेकिन ये अनगिनत पीड़ित और सताई हुई लड़कियों के लिए हौसले की एक ऐसी मिसाल है, जो सालों-साल पीड़ित इंसानियत का संबल बनेगी.