नुक्कड़ नाटक से रक्तदान तक: एम्स ऋषिकेश डॉक्टरों का अनोखा विरोध
नुक्कड़ नाटक से रक्तदान तक: एम्स ऋषिकेश डॉक्टरों का अनोखा विरोध… एक सेंट्रल हेल्थकेयर प्रोटेक्शन एक्ट की स्थापना से न केवल डॉक्टरों को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि समाज को भी यह संदेश जाएगा कि स्वास्थ्यकर्मियों के साथ हिंसा किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। इस मुद्दे पर केवल डॉक्टरों का नहीं, बल्कि पूरे समाज का समर्थन होना चाहिए। #अंकित तिवारी
ऋषिकेश। आर जी कर मेडिकल कॉलेज कोलकाता की शर्मनाक घटना ने देशभर के डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों में गहरी चिंता और आक्रोश उत्पन्न किया है। यह घटना केवल एक डॉक्टर पर हमला नहीं, बल्कि पूरे चिकित्सा समुदाय पर हमला है, जो दिन-रात अपने जीवन को जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचाने के लिए समर्पित हैं।
देशभर के रेजिडेंट डॉक्टर इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। एम्स ऋषिकेश में चल रही हड़ताल इसका प्रमुख उदाहरण है, जहां डॉक्टर्स ने अनोखे ढंग से विरोध व्यक्त किया है। कहीं नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से आम जनता को इस घटनाक्रम से अवगत कराया जा रहा है, तो कहीं रंगोली और स्वैच्छिक रक्तदान शिविर के आयोजन से अपना संदेश दिया जा रहा है। हालांकि, यह काबिले तारीफ है कि इन डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाओं को बाधित नहीं होने दिया, जो उनके नैतिक और पेशेवर समर्पण को दर्शाता है।
रेजिडेंट डॉक्टरों की मांगें पूरी तरह से जायज़ हैं। वे पीड़ित और उनके परिवार को न्याय, दोषियों को सख्त सजा, और उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही वे एक सेंट्रल हेल्थकेयर प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे हैं, ताकि भविष्य में ऐसे हमलों को रोका जा सके। यह कानून डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है, क्योंकि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना न केवल उनके अधिकारों का सवाल है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि देश की स्वास्थ्य सेवाएं निर्बाध रूप से चलती रहें।
इस घटना ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि हमारे स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। ऐसे समय में जब डॉक्टर हमारे लिए महामारी से लड़ रहे हैं और अन्य स्वास्थ्य संकटों से निपट रहे हैं, उनके खिलाफ होने वाली हिंसा को किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। सरकार और संबंधित संस्थाओं को जल्द से जल्द इस मामले में ठोस कदम उठाने चाहिए।
एक सेंट्रल हेल्थकेयर प्रोटेक्शन एक्ट की स्थापना से न केवल डॉक्टरों को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि समाज को भी यह संदेश जाएगा कि स्वास्थ्यकर्मियों के साथ हिंसा किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। इस मुद्दे पर केवल डॉक्टरों का नहीं, बल्कि पूरे समाज का समर्थन होना चाहिए। हमें यह समझना होगा कि डॉक्टरों की सुरक्षा केवल उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा का मामला नहीं है, बल्कि यह हमारी स्वास्थ्य सेवाओं की सुरक्षा का मामला है। डॉक्टर सुरक्षित होंगे तो हम भी सुरक्षित रहेंगे।
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