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जीवन के अंतर्मन का द्वंद है कविता : उषाकिरण

जीवन के अंतर्मन का द्वंद है कविता : उषाकिरण… काव्य संध्या में स्वंर्णिम काला केंद्र की अध्यक्षा लेखिका व कवित्री उषाकिरण श्रीवास्तव ने कहा कि जीवन में बाहरी दिखावे के लिए हर कोई श्रृंगार करता है वहीँ व्यक्ति अपनी आंतरिक प्रगति के लिए कोई प्रयास नहीं करता। साहित्यिक मंच का आभार प्रकट करते हुए उन्होंने सभी कवियों की सराहना की।

मुजफ्फरपुर (बिहार)। राष्ट्रीय कवि संगम मंच जिला इकाई द्वारा नवयुवक ट्रस्ट समिति सरैयागंज मुजफ्फरपुर के सभा कक्ष में काव्य संध्या का आयोजन स्वंर्णिम कला केंद्र की अध्यक्षा व कवित्री लेखिका उषाकिरण श्रीवस्तव की अध्यक्षता में साहित्य के क्षेत्र में बनाया नया काव्य श्रृंखला एवं महिला स्वच्छता और कविता में प्रतुति की गयी।

राष्ट्रीय कवि संगम इकाई मुज्ज़फ्फरपुर की काव्य संध्या में मुज्ज़फ्फरपुर जिले के कवियों ने काव्य पाठ की प्रस्तुति से माहौल को खुशनुमा बना दिया है। कवित्री संगीता परिहार ने काव्य संध्या सम्मेलन का प्रारंभ कर कवित्रियों एवं कवियों का महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और काव्य श्रृंखला मन्नतों के धागे पर प्रकाश डाला।

काव्य संध्या में स्वंर्णिम काला केंद्र की अध्यक्षा लेखिका व कवित्री उषाकिरण श्रीवास्तव ने कहा कि जीवन में बाहरी दिखावे के लिए हर कोई श्रृंगार करता है वहीँ व्यक्ति अपनी आंतरिक प्रगति के लिए कोई प्रयास नहीं करता।साहित्यिक मंच का आभार प्रकट करते हुए उन्होंने सभी कवियों की सराहना की। जीवन में अंतर्मन का द्वन्द जब शुरु होता है। प्रेम सनेह,व्यथा,संवेदना शब्द बनकर काव्य पाठ का हिस्सा बनकर समाज को जगाने का कार्य करते हैं।

राष्ट्रीय कवि संगम की अध्यक्षा कवित्री उषा किरण श्रीवास्तव, काव्य गोष्टी की अध्यक्षता प्रियंबदा दस एवं संचालन कवित्री संगीता सागर ने की। काव्य गोष्टी में अंजनी कुमार पाठक, देवेंद्र कुमार, मुन्नी चौधरी,रामवृक्ष चकपुरी, सत्येन्द्र कुमार सत्यम, हेमा सिंह,रेखा शर्मा स्नेहा,मुस्कान केशरी एवं अभय सिंह ने अपनी कविता प्रस्तुत कर श्रोताओं के मन में विश्वास और प्रेम की अनुभूति जगाई। महिला काव्य मंच बिहार इकाई द्वारा काव्य प्रस्तुति की गई।

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जीवन के अंतर्मन का द्वंद है कविता : उषाकिरण... काव्य संध्या में स्वंर्णिम काला केंद्र की अध्यक्षा लेखिका व कवित्री उषाकिरण श्रीवास्तव ने कहा कि जीवन में बाहरी दिखावे के लिए हर कोई श्रृंगार करता है वहीँ व्यक्ति अपनी आंतरिक प्रगति के लिए कोई प्रयास नहीं करता।साहित्यिक मंच का आभार प्रकट करते हुए उन्होंने सभी कवियों की सराहना की।

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