
स्मृति शेष : साहित्यकार हरिओम तरंग का निधन… उनके निधन से साहित्य जगत को जो अपूर्णीय क्षति हुई है उसकी पूर्ति करना असंभव हैं। वे आज भले ही इस नश्वर संसार में नहीं रहे लेकिन उनके साथ बिताए गए एक एक क्षण हमें उनकी याद दिला रहे है कि वे हमारे ही बीच में है। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
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मीरा की नगरी मेड़ता सिटी के कवि हरिओम सोनी तरंग का निधन हो गया जिससे साहित्य जगत में शोक की लहर छा गई। साहित्यकार हरिओम तरंग को मैंने बहुत ही नजदीक से देखा। मेडता सिटी में सरकारी नौकरी होने के कारण 17 साल वहां पर रहा और जब जब साहित्य गोष्ठी व कवि सम्मेलन होते तो उसमें हरिओम तरंग सबसे पहले साइकिल लेकर पहुंच जाते थे। वे भले ही साइकिल पर सवार होकर न आते लेकिन उसे एक सहारे के रूप में अपने साथ लेकर चलते थे।
तरंग के आलेख भले ही कभी कभार प्रकाशित हुए हो लेकिन कविताएं तो वे हर बार साहित्यिक गोष्ठियों में नई नई सुनाते थे और वाह वाह लूटते थे। तरंग का जीवन सादा जीवन था लेकिन उनके विचार उच्च थे। वे प्रायः गंभीर मुद्रा में रहते थे। उनका जीवन एक खुली किताब की तरह था। जो भी कहते थे वह मुख पर कहते थे, पीठ पीछे नहीं।
उनके निधन से साहित्य जगत को जो अपूर्णीय क्षति हुई है उसकी पूर्ति करना असंभव हैं। वे आज भले ही इस नश्वर संसार में नहीं रहे लेकिन उनके साथ बिताए गए एक एक क्षण हमें उनकी याद दिला रहे है कि वे हमारे ही बीच में है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे व परिवारजनों को इस दुःख की घडी में यह आघात सहन करने की शक्ति प्रदान करे।
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