सूरजकुंड : इस मंदिर पर पड़ती है सूरज की सबसे पहली किरण
सूरजकुंड : इस मंदिर पर पड़ती है सूरज की सबसे पहली किरण… ज्योतिष के अनुसार जो व्यक्ति अपना स्थान नहीं छोड़ सकते वह किसी पर्वत पर स्थित शिव लिंग का अभिषेक कर काल सर्प दोष, पितृ दोष की पूजा संपन्न कर सकते हैं। यह पूजा विधि विधान से करने से कुंडली के सभी प्रकार के दोष भी शांत होते है। #आशी प्रतिभा (स्वतंत्र लेखिका) मध्य प्रदेश, ग्वालियर
श्रावण मास के अंतिम सोमवार के दिन आज मैं आपको सूरजकुंड के दर्शन के लिए ले चलती हूं मध्य प्रदेश जिला के ग्वालियर गालव ऋषि भूमि ग्वालियर दुर्ग पर यह मंदिर स्थित है यहां भक्त जन भगवान शिव की आराधना कर पुण्य प्राप्त करते है। कहा जाता है की इस मंदिर पर सूरज की सबसे पहली किरण पड़ती है।
इस कुंड का निर्माण राजा सूरज सेन द्वारा आठवीं शताब्दी में करवाया था। इसके लिए उन्हें विशेष रूप से ऋषि आज्ञा लेनी पड़ी थी। तालाब होने से पहले यहां जंगल था। ग्वालियर दुर्ग पर स्थित यह सूरजकुंड आज दूषित हो चुका है यहां कचरा कूड़ा जमा हो रहा है इसके कारण इसके पानी में जलीय जीव मर चुके हैं। लेकिन इसमें कमल पुष्प भी काफी मात्रा में उगते हैं।
दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा पर आने वाले पर्यटक यहां दर्शन करते हैं। यहां पर मेला भी भरता है। एक समय था जब यहां के पानी पीने से चर्म रोग ठीक हो जाते थे। यही आस्था थी कि राजा ने ऋषि की आज्ञा लेकर यहां कुंड का निर्माण करवाया था।
ज्योतिष के अनुसार जो व्यक्ति अपना स्थान नहीं छोड़ सकते वह किसी पर्वत पर स्थित शिव लिंग का अभिषेक कर काल सर्प दोष , पितृ दोष की पूजा संपन्न कर सकते हैं। यह पूजा विधि विधान से करने से कुंडली के सभी प्रकार के दोष भी शांत होते है। जय भोलेनाथ।