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साबरमती आश्रम और साबरमती नदी का परिभ्रमण

साबरमती आश्रम और साबरमती नदी का परिभ्रमण… स्मृति ग्रन्थों के अनुसार भगवान शिव ने देवी गंगा को गुजरात लेकर आने के कारण साबरमती नदी का जन्म हुआ। सबरमती नदी का प्राचीन नाम भोगवा है। गुजरात की वाणिज्यिक और राजनीतिक राजधानियाँ; अहमदाबाद और गांधीनगर साबरमती नदी के तट पर ही बसाए गए थे।  #सत्येन्द्र कुमार पाठक 

गुजरात राज्य अहमदाबाद जिले का साबरमती नदी के किनारे साबरमती आश्रम व सत्याग्रह आश्रम की स्थापना सन् 1915 में अहमदाबाद के कोचरब में मोहनदास करमचंद गांधी द्वारा साबरमती नदी के किनारे ऋषि दधीचि द्वारा स्थापित दधीचि आश्रम पर 1917 ई. में कोचरब से स्थानांतरित कर महात्मा गांधी द्वारा साबरमती आश्रम स्थापना की गई थी। साबरमती आश्रम वृक्षों की शीतल छाया में सादगी एवं शांति साबरमती आश्रम की एक ओर सेंट्रल जेल और दूसरी ओर दुधेश्वर श्मशान है। आश्रम। के प्रारंभ में निवास के लिये कैनवास के खेमे और टीन से छाया हुआ रसोईघर था।

साबरमती निवासियों की 1917ई. में। संख्या 40 थी। महात्मा गांधी के सत्य, अहिंसा आत्मससंयम, विराग एवं समानता के सिद्धांतों पर आधारित प्रयोग और सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक क्रांति का महात्मा गांधी के मस्तिष्क में प्रतीक और विकसित करने की प्रयोगाशाला कहा जाता था। आश्रम में विभिन्न धर्मावलबियों में एकता स्थापित करने, चर्खा, खादी एवं ग्रामोद्योग द्वारा जनता की आर्थिक स्थिति सुधारने और अहिंसात्मक असहयोग या सत्याग्रह के द्वारा जनता में स्वतंत्रता की भावना जाग्रत करने के प्रयोग किए गए थे।आश्रम भारतीय नेताओं के लिए प्रेरणाश्रोत तथा भारत के स्वतंत्रता संघर्ष से संबंधित कार्यों का केंद्रबिंदु था।।कताई एवं बुनाई के साथ-साथ चर्खे के भागों का निर्माण कार्य भी धीरे-धीरे इस आश्रम में होने लगा। आश्रम में रहते हुए गांधी ने अहमदाबाद की मिलों में हुई हड़ताल का सफल संचालन किया था।

मिल मालिक एवं कर्मचारियों के विवाद को सुलझाने के लिए गांधी ने अनान आरंभ करने के प्रभाव से 21 दिनों से चल रही हड़ताल तीन दिनों के समाप्ति के पचात् गांधी जी ने आश्रम में रहते हुए खेड़ा सत्याग्रह का सूत्रपात कियाथा। रालेट समिति की सिफारिाों का विरोध करने के लिए गांधी ने साबरमती आश्रम।तत्कालीन राष्ट्रीय नेताओं का सम्मेलन में लोगों ने सत्याग्रह के प्रतिज्ञा पत्र हर हस्ताक्षर किए था। साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी ने 2 मार्च 1930 ई. को भारत के वाइसराय को एक पत्र लिखकर सूचित किया कि नौ दिनों का सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ करने जा रहे हैं। महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 ई. को आश्रम के 78 व्यक्तियों के साथ नमक कानून भंग करने के लिए ऐतिहासिक दंडी यात्रा एवं गांधी जी भारत के स्वतंत्र होने तक साबरमती आश्रम में लौटकर नहीं आए थे।

गांधी जी ने आश्रमवासियों को आश्रम छोड़कर गुजरात के खेड़ा जिले के बीरसद के रासग्राम में पैदल जाकर बसने का परामर्श दिया परंतु आश्रमवासियों के आश्रम छोड़ देने के पूर्व 1 अगस्त 1933 ईं. को सब गिरफ्तार कर लिए गए। महात्मा गांधी ने आश्रम को भंग कर दिया। आश्रम कुछ काल तक जनशून्य पड़ा रहा। बा निर्णय किया गया कि हरिजनों तथा पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए शिक्षा एवं शिक्षा संबंधी संस्थाओं को चलाया जाने कार्य के लिए आश्रम को न्यास के अधीन कर दिया जाए। साबरमती आश्रम के शिष्यों द्वारा ही महात्मा गाँधी को “बापू “नाम से सर्वप्रथम सम्बोधित किया गया था। गांधी जी की मृत्यु के पचात् महात्मा गांधी। की स्मृति को निरंतर सुरक्षित रखने के उद्देय से राष्ट्रीय स्मारक की स्थापना की गई। गांधी स्मारक निधि नामक संगठन ने निर्णय किया कि आश्रम के भवनों सुरक्षित रखा जाए एवं 1951 ई. में साबरमती आश्रम सुरक्षा एवं स्मृति न्यास अस्तित्व में आया।

उसी समय से यह न्यास महात्मा गांधी के निवास, हृदयकुंज, उपासनाभूमि नामक प्रार्थनास्थल और मगन निवास की सुरक्षा के लिए कार्य कर रहा है। हृदयकुंज में महात्मा गांधी एवं कस्तूरबा ने 12 वर्षों तक निवास किया था। 10 मई 1963 ई. को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने हृदयकुंज के समीप गांधी स्मृति संग्रहालय का उद्घाटन किया। संग्रहालय में गांधी जी के पत्र, फोटोग्राफ और अन्य दस्तावेज रखे गए हैं। इंडिया, नवजीवन तथा हरिजन में प्रकाशित गांधी जी के 400 लेखों की मूल प्रतियाँ, बचपन से लेकर मृत्यु तक के फोटोग्राफों का बृहत् संग्रह और भारत तथा विदेशों में भ्रमण के समय दिए गए भाषणों के 100 संग्रह प्रदर्शित किए गए हैं। संग्रहालय में पुस्तकालय में साबरमती आश्रम की 4,000 तथा महादेव देसाई की 3,000 पुस्तकों का संग्रह है। संग्रहालय में महात्मा गांधी द्वारा और लिखे गए 30,000 पत्रों की अनुक्रमणिका पत्रों में माइक्रोफिल्म सुरक्षित रखे हैं।



बापू ने साबरमतीआश्रम में 1915 से 1933 तक निवास किया। जब वे साबरमति।की कुटिया में रहने के कारण “ह्रदय-कुंज” में महात्मा गांधी का डेस्क, खादी का कुर्ता, उनके पत्र आदि मौजूद हैं। “ह्रदय-कुंज” के दाईं ओर “नन्दिनी” है। “अतिथि-कक्ष” और आचार्य विनोबा भावे के निवास “विनोबा कुटीर” है। हृदय कुंज कुटीर आश्रम के मध्य स्थित का नामकरण काका साहब कालेकर ने समय गांधी जी के साथ 1919 से 1930 ई. तक बिताया और ऐतिहासिक दांडी यात्रा प्रारम्भ की थी।विनोबा-मीरा कुटीर – आश्रम के एक हिस्से में विनोबा-मीरा 1918 से 1921 के दौरान आचार्य विनोबा भावे ने जीवन के महीने बिताए थे। गांधी जी के आदर्शो से प्रभावित ब्रिटिश युवती मेडलीन स्लेड 1925 से 1933 तक, गांधी जी ने शिष्या मीरा रखा था। प्रार्थना भूमि – आश्रम में रहने वाले सभी सदस्य प्रतिदिन सुबह-शाम प्रार्थना भूमि में एकत्र होकर प्रार्थना करते थे।



नंदिनी अतिथिगृह- देश के स्वतंत्रता सेनानी पं॰ जवाहरलाल नेहरू, डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद, सी.राजगोपालाचारी, दीनबंधु एंड्रयूज और रवींद्रनाथ टैगोर आदि साबरमती आश्रम आते थे। साबरमती नदी – राजस्थान के उदयपुर ज़िले का अरावली पर्वतमाला से उद्गम स्थल से प्रवाहित साबरमती नदी और राजस्थान और गुजरात में दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर बहते हुए ३७१ किमी का सफर तय करने के बाद अरब सागर की खम्भात की खाड़ी में विलय हो जाती है। साबरमती। नदी की लम्बाई राजस्थान में ४८ किमी और गुजरात में ३२३ किमी है। गुजरात की साबरमती नदी के तट पर रअहमदाबाद और गांधीनगर नगर अवस्थित और धरोई बाँध योजना द्वारा साबरमती नदी के जल का प्रयोग गुजरात में सिंचाई और विद्युत् उत्पादन के लिए, उदयपुर ज़िलाका अरावली पर्वतमाला की ऊँचाई 782 मी॰ (2,566 फीट) से साबरमती नदी प्रवाहित होकर खंभात की खाड़ी में मिलत्ती है। साबरमती नदी में वाकल नदी, हरनाव नदी, मधुमती नदी, हाथमती नदी, वात्रक नदी मिलती है।



स्मृति ग्रन्थों के अनुसार भगवान शिव ने देवी गंगा को गुजरात लेकर आने के कारण साबरमती नदी का जन्म हुआ। सबरमती नदी का प्राचीन नाम भोगवा है। गुजरात की वाणिज्यिक और राजनीतिक राजधानियाँ; अहमदाबाद और गांधीनगर साबरमती नदी के तट पर ही बसाए गए थे। गुजरात सल्तनत के सुल्तान अहमद शाह ने साबरमती के तट पर विश्राम करते हुए खरगोश को कुत्ते का पीछा करते हुए देखा था। खरगोश के साहस से प्रेरित होकर १४११ में सुल्तान अहमद शाह ने खरगोश स्थल पर अहमदाबाद की स्थापना करी थी। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी ने साबरमती नदी के तट पर साबरमती आश्रम की स्थापना किया था। साबरमती नदी बेसिन राजस्थान के मध्य-दक्षिणी भाग में स्थित है।



पूर्व में बनास और माही बेसिन, उत्तर में लूनी बेसिन और इसके पश्चिम में पश्चिमी बनास बेसिन हैं। दक्षिणी सीमा गुजरात राज्य के साथ लगती है। साबरमती नदी बेसिन उदयपुर, सिरोही, पाली और डुंगरपुर जिलों के हिस्सों तक फैला हुआ है। ऑर्थोग्राफिक रूप से, बेसिन का पश्चिमी हिस्सा अरावली रेंज से संबंधित पहाड़ी द्वारा चिह्नित किया जाता है। पहाड़ियों के पूर्व में संकीर्ण जलीय मैदान सभ्य पूर्व की ढलान के साथ है।साबरमती की मुख्य सहायक नदियां में मिलने वाली नदियों में सेई नदी वाकल नदी,वतक नदी, शेही नदी, हरनाव नदी, गुईई नदी,हथमती नदी,मेसवा नदी,मझम नदी, खारी नदी मोहर नदी है।

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साबरमती आश्रम और साबरमती नदी का परिभ्रमण... स्मृति ग्रन्थों के अनुसार भगवान शिव ने देवी गंगा को गुजरात लेकर आने के कारण साबरमती नदी का जन्म हुआ। सबरमती नदी का प्राचीन नाम भोगवा है। गुजरात की वाणिज्यिक और राजनीतिक राजधानियाँ; अहमदाबाद और गांधीनगर साबरमती नदी के तट पर ही बसाए गए थे।  #सत्येन्द्र कुमार पाठक 

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