मैं तुझसे नाराज नहीं जिन्दगी

अब जब तुम मिल ही गई तो ये जाना समझा और माना बीते पलों में कितनी उदासीन थी दिल के मानने तक एकाकी जिन्दगी।। *मैं तुझसे नाराज नहीं जिन्दगी. आज दिन नई शुरुवात का हैं, हर दिशा में बहती हवा सी तुम… #आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका), मध्य प्रदेश
टमटमाते हैं सितारें
अंधेरे में खूबसूरत जिन्दगी
दर्द वेदना सब सहती
फिर भी मुस्कुराती जिन्दगी।।
*मैं तुझसे नाराज नही जिंदगी ……..
रौशनी के इंतजार में ,
कई लम्हे चुप यूंही बिताए
खिड़कियों से झांकती
कितनी गुमनाम रही जिन्दगी।।
*मैं तुझसे नाराज नहीं जिन्दगी……….
अब जब तुम मिल ही गई
तो ये जाना समझा और माना
बीते पलों में कितनी उदासीन थी
दिल के मानने तक एकाकी जिन्दगी।।
*मैं तुझसे नाराज नहीं जिन्दगी……..
आज दिन नई शुरुवात का हैं,
हर दिशा में बहती हवा सी तुम
हस्ती खेलती संवरती खुशनुमा हो ,
बदलने से कितना बदली हो जिन्दगी।।
मैं तुझसे नाराज नहीं जिन्दगी …………..