
भोजपुरी के वरिष्ठ गीतकार सत्येन्द्र कुमार सत्यन ने गरिबीन के बिटिया चराबेली बकरिया सुनाकर झूमा दिया। आलोक कुमार ने जीवन में कुछ करना है तो मन को मारे मत बैठो।
[/box]मुजफ्फरपुर। महावाणी स्मरण के तत्वावधान में निराला निकेतन के परिसर में अवस्थित कविवर आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री जी की स्मारक स्थल पर में स्वनिर्णिम कला केंद्र की अध्यक्षा एवं लेखिका उषा किरण श्रीवास्तव जी की अध्यक्षता में मुजफ्फरपुर के कवियों साहित्यकारों , कलाकारों की कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
लेखिका उषाकिरण श्रीवास्तव ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि मानवीय जीवन की मूल्यों को वास्तविक जीवन पर शास्त्री जी की लेखनी और कविताओं में प्रत्येक शब्द कवियों के लिए अनुकरणीय है। महावाणी स्मरण का प्रारम्भ डा. संजय पंकज एंव डा. विजय शंकर मिश्र ने किया। आलोक कुमार ने शास्त्री जी के गीतों की काव्यपाठ प्रारंभ तथा वरिष्ठ कवि डा. हरिकिशोर प्रसाद सिंह ने चिंतन जीवन का अभय दान सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया।
नरेन्द्र मिश्र ने जवानी तुमको है धिक्कार , वरिष्ठ कवि, गीतकार आलोक कुमार अभिषेक ने बेटियाँ भी कुल उजियारी बन गई है , संतोष कुमार सिद्धार्थ ने नदियाँ पूछती है मेरा पता , मधुकर वनमाली ने निराला ने नहीं देखी सड़कों पर तोड़ते पत्थर , अरूण कुमार तुलसी ने कैसी तुने माया रची भगवान का कविता पाठ कर भाव विभोर कर दिया। श्री रामवृक्ष राम चकपुरी ने सोने की चिड़िया भारत की आजादी को कम न तौला करें।
भोजपुरी के वरिष्ठ गीतकार सत्येन्द्र कुमार सत्यन ने गरिबीन के बिटिया चराबेली बकरिया सुनाकर झूमा दिया। आलोक कुमार ने जीवन में कुछ करना है तो मन को मारे मत बैठो। तथा उमेश राज ने रूप बदलकर आया है बहुरुपिया बाजार में सुनाकर माहौल को बदल दिया।
स्वंर्णिम कलाकेंद्र की अध्यक्षा एवं वरिष्ठ कवयित्री उषा किरण श्रीवास्तव ने बहुत लिख चुके प्रेम की पाती गीत प्रस्तुति कर शास्त्री जी को कविता समर्पित का प्रतुति की । कवि सम्मेलन मंच संचालन उमेश राज एवं धन्यवाद ज्ञापन मोहन प्रसाद सिन्हा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया ।