साहित्य लहर
कविता : सावन
सावन… रसप्लावित करके कविता में आनंद का भाव भर दिया तुम मोहिनी मूरत बनी हरे भरे बाग में हंसने लगी धूप की बांहों मैं आकर प्यार में पगी प्यार लेकर सावन के आकाश में इन्द्रधनुष लहराता तुम्हारे मन के पास कोई #राजीव कुमार झा
प्यार में जिंदगी
धूप की महक से
गुलजार होती ।
फूल हंसने लगते
जब कभी अकेले होते
तुम्हारे पास आकर
हवा की हंसी से
अकेले मन को धोते
सावन ने भिगो दिया
सबके बेजान बने
जीवन को उसने
रसप्लावित करके
कविता में आनंद का
भाव भर दिया
तुम मोहिनी मूरत बनी
हरे भरे बाग में हंसने
लगी
धूप की बांहों मैं आकर
प्यार में पगी
प्यार लेकर
सावन के आकाश में
इन्द्रधनुष लहराता
तुम्हारे मन के पास
कोई
सुबह का गीत गाता
तुम्हारी मुस्कान
मानो ईश्वर का ध्यान
प्रेमपूर्ण जीवन का
गान
सर्वस्व सुख का दान