कविता : रसमलाई
कविता : रसमलाई… धूप में प्यार के रसगुल्ले कच्चे दरवाजे पर सोंधी खुशबू महकते प्यार की निशानी यादगार जिंदगी की तुम कोई भूली बिसरी अनकही कहानी दोपहर तक भीगा रहा यौवन प्यार भरी रातों को याद करते रहे होकर बादल से मगन #राजीव कुमार झा
दोस्ती में प्यार का
गिफ्ट पाकर
तुमने मुझे आज
अपना दिल दे दिया
दोस्ती में सच्चा
सौगात
किसने मुझे दिया
हर तरफ
बरसात की तरह
खुशी छाई
दोस्ती में तुमने
लुटाई
रेत पर रसमलाई
प्यार के दौड़ते
घोड़ों पर
शाम के धुंधलके में
चढ़ाई
बारिश के बाद
बादलों से चांद की
लड़ाई
रात पानी से नहाई
भीगा तुम्हारा मन
याद आती तुम
जलती कभी मीठी
तपती अगन
गूंजते रहे
बहुत पुराने
जीवन पथ के गीत
सुहाने सफर तुम्हारे
अकेले राह देखते
धूप में कंकरिया
तालाब के पानी में
फेंक रहे जो बच्चे
उनके जैसे
तुमको हम लगते
सच्चे
धूप में प्यार के
रसगुल्ले कच्चे
दरवाजे पर सोंधी
खुशबू
महकते प्यार की
निशानी
यादगार जिंदगी की
तुम कोई भूली बिसरी
अनकही कहानी
दोपहर तक भीगा रहा
यौवन
प्यार भरी रातों को
याद करते रहे होकर
बादल से मगन